उत्तरकाशी ऋषिकेश, केदारनाथ मार्ग पर 29 किमी की दूरी पर एक गाँव है चौरंगीखाल. चौरंगीखाल मामूली बसावट वाला गाँव है, लेकिन यह गंगोत्री से लौटकर केदारनाथ या ऋषिकेश आने-जाने वाले यात्रियों का मुख्य पड़ाव है. यहाँ खाने-पीने के कई ठिकाने हैं और कुछ हैंडीक्राफ्ट की दुकानें भी. यहाँ पर गुरु चौरंगीनाथ का सिद्ध पीठ भी है.
चौरंगीखाल से कई रास्ते आपको गुमनाम सुन्दर बुग्यालों और पहाड़ियों के टॉप पर ले जाते हैं.
इन्हीं कम लोकप्रिय खूबसूरत जगहों में से एक है नचिकेता ताल. नाचिकेताताल जाने के लिए चौरंगीखाल से लगभग 3 किमी का पैदल रास्ता तय करना होता है. शुरुआत में ही वन विभाग की चौकी में प्रति व्यक्ति 10 रुपये का शुल्क वसूला जाता है. वन विभाग की इसके अलावा और कोई भूमिका नहीं है यह नाचिकेताताल पहुंचकर आप ज्यादा बेहतर समझ पाते हैं.
![](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/06/नचिकेताताल.jpg)
फोटो: सुधीर कुमार
नाचिकेता ताल की ओर जाने वाला रास्ता चौड़ा और साफ़-सुथरा है. समुद्रतल से नाचिकेता ताल की ऊंचाई 2455 मीटर है. चढ़ाई को इस करीने से काटा गया है कि आप ऊंचाई पर बिना थके चलते जाते हैं. देवदार, बांझ, बुरांश, काफल और चीड़ आदि के घने जंगलों के बीच से गुजरने वाला यह रास्ता बेहद मनोरम है. समूचा जंगल विभिन्न प्रजातियों के परिंदों से भरा हुआ है. स्थानीय ग्रामीण जंगल में घुरल, कांकड़, बाघ और भालू जैसे जंगली जानवरों की बहुतायत बताते हैं, इसकी पुष्टि लगभग 15 सालों से नाचिकेता ताल में साधनारत एकमात्र साधू भी करते हैं.
![Nachiketatal Chaurangikhal uttarkashi](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/06/नचिकेताताल-1-1.jpg)
फोटो: सुधीर कुमार
3 किमी का रास्ता तय करने के बाद मिलती है नाचिकेता ताल झील. रास्ते में सुस्ताने के लिए दो-एक शेड भी बने हुए हैं. पूरे रास्ते में पीने का पानी नहीं मिलता लिहाजा उसकी तैयारी चौरंगीखाल से ही कर लेनी पड़ती है. 7 से 10 फीट गहरा यह ताल 200 मीटर लम्बा और 30-35 मीटर चौड़ा है. पूरी झील गाद-मिट्टी और वनस्पति से पटी हुई है, इसकी सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बावजूद प्राकृतिक तालाब और घने जंगल का कॉकटेल मन को शांति प्रदान करता है और आँखों को सुकून. नाचिकेता ताल में मछलियों के बड़े-बड़े झुण्ड भी विचरते रहते हैं. कहते हैं कि इन मछलियों के बीजों को किसी अंग्रेज ने यहाँ डाला था.
नचिकेता ताल में रात रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. वन विभाग का एकमात्र गेस्ट हाउस काफी पहले ही आग की भेंट चढ़ चुका है. अलबत्ता यहाँ निर्जन में साधनारत साधू का आग्रह रहता है कि आप उनकी कुटिया में रात गुजारें. इसके अलावा यहाँ पर घास के मैदान में आप अपना टेंट भी लगा सकते हैं, इस पर फिलहाल पाबन्दी नहीं है. रात का डेरा जमाने के लिए सारी व्यवस्थाएं साथ लेकर ही जानी होंगी.
![Nachiketatal Chaurangikhal uttarkashi](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/06/नचिकेताताल-2-1.jpg)
फोटो: सुधीर कुमार
नाचिकेता ताल के पास में ही नाग देवता को समर्पित पौराणिक मंदिर और एक संकरी गुफा भी है, इस गुफा को यमद्वार भी कहा जाता है. इस जगह के बारे में स्थानीय ग्रामीणों के बीच कई मिथक और किवदंतियां प्रचलित है. कहा जाता है की नाचिकेताताल के सरोवर में आज भी देवी-देवता स्नान किया करते हैं और रात को यहाँ शंख, घंटे, घडियालों की गूँज सुनाई पड़ती है. किवदंती है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान का शव इसी यमद्वार पर रखकर उसके जीवन को वापस प्राप्त किया था.
![Nachiketatal Chaurangikhal uttarkashi](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/06/नचिकेताताल-3-1.jpg)
फोटो: सुधीर कुमार
नाग पंचमी के दिन नाचिकेता ताल में स्थानीय ग्रामीणों का मेला भी लगा करता है, इस दिन सभी लोग झील के पवित्र जल में स्नान करना पुण्य का काम समझते हैं. नाचिकेता ताल को उद्दालक ऋषि द्वारा बनाया गया बताया जाता है. उदालक ऋषि के पुत्र नचिकेता के नाम पर ही इस झील को नचिकेता ताल कहा जाता है.
![Nachiketatal Chaurangikhal uttarkashi](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/06/नचिकेताताल-4-1.jpg)
फोटो: सुधीर कुमार
नाचिकेता की कहानी
कहते हैं कि नचिकेता राजा उदालक के पुत्र थे. एक बार उदालक ने एक यज्ञ का आयोजन किया और बुलाये गए ब्राह्मणों को अपनी प्रिय चीजें दान में देने का निश्चय किया. पांच साल के बेटे नचिकेता ने देखा कि उनके पिता बेकार वस्तुए एवं खंडित गायें दान दे रहे हैं. उन्होंने अपने पिता से कहा कि इस तरह का दान अपराध की तरह है. आपने अपनी प्रिय वस्तुए दान देने का निश्चय किया है अतः आप मुझे किसे दान देंगे, क्योंकि में भी आपका प्रिय हूँ. नचिकेता के कई दफा अपना सवाल दोहराने पर उदालक ने उनसे कहा में तुम्हें यम को दान में दूंगा.
नचिकेता मृत्युलोक देखने के लिए नाचिकेता ताल स्थित यमद्वार आए. 3 दिन तक मृत्युलोक गए यमराज का भूखे-प्यासे रहकर इन्तजार करते रहे. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें वरदान दिए. बताते हैं कि नचिकेता का यम से संवाद इसी नाचिकेता ताल के पास स्थित यम द्वार के पास हुआ था.
वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
पहाड़ के मडुवे-दालों को देश भर के बाजारों में पहुंचाया है हल्द्वानी की किरण जोशी ने
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें