साधो ! देखो ये जग बौराना
पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के ढेर से जूझते मेरे गुरु जैसे उन लहरों को चीर उस टापू की तलाश करने में लगे थे जहां इतिहास के पन्नों ने एक नई इबारत लिखे... Read more
कहानी : फर्क
राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में उसे खासी परेशानी उठानी पड़ी लेकिन टिकट मिलने के पश्चात वह भीड़ को चीरता हुआ बस कि ओर बढ़ गया. उसके चेहरे पर अत्यंत... Read more
उत्तराखंड: योग की राजधानी
योग की भूमि उत्तराखंड, तपस्या से भरा राज्य जिसे सचमुच देवताओं की भूमि कहा जाता है, हिमालय की गोद में बसा है और न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि भारत में उन स्थानों मे... Read more
मेरे मोहल्ले की औरतें
मेरे मोहल्ले की औरतें, जो एक दूसरे से काफी अलग है. अलग स्वभाव, कद-भी एकदम अलहदा, अलग-अलग सोच. कुछ जुबान की मीठी कुछ बड़ी चंठ सी. कुछ अपने से अपने तक मतलब रखती हैं और कुछ घर के अंदर बैठ... Read more
रूद्रपुर नगर का इतिहास
रूद्रपुर, उत्तराखंड का एक प्रमुख शहर, अपनी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक परिवर्तनों के लिए प्रसिद्ध है. उधम सिंह नगर जिले का यह मुख्यालय समय के साथ विकसित होता रहा है और हर युग में नई पहचान... Read more
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
उत्तराखंड की धरती पर कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विकास का एक चमकता सितारा है “गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय”, जिसे हम प्यार से पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के नाम... Read more
उत्तराखंड की संस्कृति
उत्तराखंड, जिसे प्यार से “देवभूमि” कहा जाता है, उस अद्भुत सांस्कृतिक विविधता, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध इस पहाड़ी राज्य की संस्कृति में लोगों की सादगी, प्रकृत... Read more
सिडकुल में पहाड़ी
उत्तराखंड में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए सिडकुल (उत्तराखंड राज्य अवसंरचना एवं औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड) की स्थापना की गई थी. उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद 2002 में इसकी शुरुआत की ग... Read more
उसके इशारे मुझको यहां ले आये
पिछली कड़ी : मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा पहले दिन उनका पहला पीरियड खत्म हुआ तभी से ये कुछ अजीब सी उथल पुथल हुई थी कि द्वन्द नाम का शब्द अर्थ देने लगा. कुछ उथल पुथल कर गया. त्रिपाठ... Read more
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और पुरुष संभवतः अपने कठिन जीवन की पीड़ा सहकर भी इस प्रकार से आशान्वित हैं कि अंधेरा वहीं काबिज़ रहेग... Read more