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2 Comments

  1. Anshul Kumar Dobhal

    वाह वाह !
    बहुत सुंदर, रोचक और समृद्ध कहानी !
    मजा आ गया।
    कहानी में औखाणों-पखाणों (कहावतों- मुहावरों) के रूप में टांके हुए सलमे-सितारों ने तो चार चांद लगा दिए !
    प्रेमचंद जी की किसी कृति से कम नहीं।
    साधुवाद ! धन्यवाद !

  2. जगमोहन सिंह रावत

    काफल ट्री की इस कहानी को भेजने के लिए साधुवाद, मैं भी पौडी गढ़वाल के नैनीडाना ब्लाक के परसोली गांव का निवासी हु,यह गांव तीलू रौतेली के एक भाई पत्वा के वंशजों का है,मै भी उसी परिवार का गोरला रावत हुं जो पंवार राजपूतों की एक शाखा है। आपकी कहानी मार्मिक दिल को छू लेने वाली होती है जिसमें छुपी वेदना को एक पर्वतीय ही महसूस कर सकता है

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