इस शताब्दी के पांचवें दसक के अन्त में आ चीनी विस्तारवादी ड्रेगन के खूनी पंजों में फंस कर जब तिब्बत का कमजोर कबूतर लहूलुहान हो गया, तो मानसरोवर गंवा कर तत्कालीन भारत का पंचशीली राजहंस अपनी गर्दन उठाकर सुरक्षा के लिए चिन्तित हो उठा. इसी विलम्बित-चिंतन... Read more