इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
“मैं उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकती!” उन्होंने फैसला किया. (Toh Mar Jao) “तो मर जाओ!” जी चाहा कह दूँ. पर नहीं कह सकती. बहुत से रिश्ते हैं, जिनका लिहाज करना ही पड़ता है. एक तो दुर्भाग्य से हम... Read more
कहानी: रेल की रात
-इलाचंद्र जोशी गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुंचा था. गाड़ी के पहुंचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती. जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहां से जल्दी... Read more
भाबर नि जौंला…
मौसमी परिवर्तनों के चलते आई कठिनाइयां रहीं हों या रोजगार, काम-धाम की तलाश, शीत ऋतु शुरू होते ही परंपरागत पर्वतीय समाजों में हिमालय के वाशिंदे फुटहिल्स पर फैले भाबर में सदियों से ऋतु-प्रवासन... Read more
जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी
परंपरा से संजोया शिल्प व कौशल, भले ही वह मिट्टी के बर्तन हों या ऊन से बने परिधान, सजावट के वह सामान जिन्हें अपने ड्राइंग रूम में रख समृद्ध वर्ग अपनी रूचि को खास बना डालता है. लोक थात से जुड़... Read more
कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह करअब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा. (जिगर मुरादाबादी) इस दस्तक को सुनकर आख़िर एक शख्स बरास्ते आसमान, सड़क और फ़िर पैदल चल पड़ता है अपन... Read more
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) का भारत रंग महोत्सव आज से नैनीताल जिले के रामनगर में शुरू होने जा रहा है. विश्व का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल इस साल 1 फ़रवरी को मुंबई से शुरू हुआ था. यह भारत... Read more
कल्पना करने की शक्ति से सपनों को सच करो
मैं आज आपको अपनी जिंदगी में हर सफलता के पीछे सबसे बड़े सीक्रेट का खुलासा करने वाला हूं. जी हां दोस्तो मैं power of visualization पर बात करने वाला हूं. यह प्रकृति द्वारा, इस ब्रह्मांड यूनिवर्... Read more
जब मात्र तवाघाट तक ही मोटर मार्ग था
पिछली कड़ी : समूचे दारमा गांव में महिलाओं को धर्मिक अनुष्ठानों में बराबर का अधिकार मिला हुआ है किलोमीटर भर समतल बुग्याल के बाद उतार आया तो बेदांग से आ रही बलखाती बिदांग गाड़ के दीदार हुए. नदी... Read more
रामनगर में दुनिया का सब से बड़ा नाट्य उत्सव
‘वसुधैव कुटुंबकम-वंदे भारंगम’ की टैगलाइन के साथ दुनिया के सबसे बड़े नाट्य महोत्सव का 24वां संस्करण एक फ़रवरी से देश के 15 शहरों में आयोजित किया जा रहा है. भारंगम-24 के दौरान देश के... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : पर्वतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree अब हम सब चले. लोलाम्कू से आगे बढे. अब चढ़ाई थी. पह... Read more