मेरी आवाज़ ही पहचान है, ग़र याद रहे: लता सुर-गाथा
भारतीय सिनेमा की प्रतिनिधि फिल्मों में से एक गाइड में वहीदा रहमान और देव आनंद पर फिल्माया गाना आज फिर जीने की तमन्ना है चित्रपट की अमर देन है. इस खनकदार व दिलकश़ बोल के लिए पूरा देश लता मंगे... Read more
आज शैलेश मटियानी जी को गए उन्नीस साल बीत गए
उनके पास बहुत सारी भाषाएँ थीं जिन्हें वे जीवन भर तराशते रहे. उनके यहाँ असंख्य ठेठ गंवई पात्र हैं तो अभिजात्य से भरपूर स्त्रियाँ भी. वे रमौल-बफौलों की कहानी को किसी अनुभवी जगरिये की सी साध के... Read more
मुरली सी सरसता वाला दीवाना कवि : मुरली दीवान
मुरली दीवान. एक ऐसा नाम जो समकालीन गढ़वाली कवियों में किसी परिचय का मोहताज़ नहीं. एक ऐसा कवि जो कबीर की तरह व्यंग्य को हथियार बनाता है और उन्हीं की तरह ठेठ लोक समाज से शब्द, बिम्ब और विषय भी... Read more
प्रेमपरकास की बछिया
प्रेमपरकास अग्गरवाल का खानदान पिछली तीन पीढ़ियों से उस पहाड़ी कसबे में तिजारत कर रहा था. तनिक मुटल्ले प्रेमपरकास से मेरी स्कूल के समय से ही दोस्ती थी. उसके एक हाथ में छः उंगलियाँ थीं और उसका... Read more
बंजारा मासाब की शादी का किस्सा
प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार व लेखक नवीन वर्मा ‘बंजारा’ का अचानक चले जाना सभी के लिए एक बहुत गहरा आघात है. उनकी कला में सामाजिक संरचनाओं की अभिव्यक्ति आभास कराती थी कि वह कितनी बारीकी से समा... Read more
नटखट चैतू के चैतू झांजी बनने की कहानी
आज फिर जशोदा काकी चैक से बाहर नहीं दिखी, रास्ते से आते जाते लोगों ने आज फिर काकी को एकतर्फा घुंघट में गोशाला में मौळ सुतर करते देखा. एक आध घस्येरी साथियों ने आवाज भी दी थी जंगल आने के लिए, ऐ... Read more
कहानी – ‘द क्वारंटाइन डेज’
कशरी को सूचना मिली कि उसका बेटा किड़ू शहर में महामारी की चपेट में आ गया. सूचना गांव के लड़के भगत ने ही भेजी थी. कशरी ने किड़ू से बात करने के लिए बड़े बेटे हरि को कहा. हरि ने फोन मिलाया तो कि... Read more
पिछले महीने ही तो लगन हुआ है सुखिया का. दुल्हनियाँ का नाम है-बसन्ती. गोल-मटोल, बड़ी-बड़ी आँखों और पतले होंठों वाली बसन्ती यूँ तो ज़रा बेढब सी है पर चाल में शहरी नज़ाकत नहीं ख़ालिस देहा... Read more
एक मास्क ऐसा भी
“मम्मी ! मम्मी !” दस साल का अनुज बालकनी से माँ को आवाज़ लगाता हुआ आया. Corona Tales from Smita Karnatak “ क्या बात है बेटा ? नाश्ते की तैयारी करते हुए किचन में व्यस्त विशाखा ने प्याज़... Read more
टिकटशुदा रुक्का : जातीय विभेद पर टिके उत्तराखंडी समाज का पाखण्ड-चन्द्रकला ‘नवारुण’ से प्रकाशित नवीन जोशी के नवीनतम उपन्यास ‘टिकटशुदा रुक्का’ को पढ़ते हुए उनके पहले उपन्यास ‘दावानल’ की तस्वीर... Read more