कोसी की सुसाट-भुभाट में पीछे पड़े एक अलच्छन ने पिरदा की बोलती हमेशा के लिये बंद कर दी
“मुक़र्रर (मुकद्दमे) की तारीख़ पड़ी थी पंद्रह, सोलह को यहाँ रेंजर सैप आने वाले थे. कचहरी में ही शाम हो गई. मैंने पिरदा से कहा-लौट चलते हैं घर, रात-बिरात पहुँच ही जाएँगे. अँधेरी रात थी,... Read more
अलविदा मंगलेश दा
जिनकी स्मृति में बिजली के लट्टुओं से जगमग पहाड़ की ही छवि है वो पहाड़ में लालटेन के बिम्ब का निहितार्थ कभी समझ ही नहीं सकते. पहाड़ में लालटेन औद्योगिकीकरण का प्रथम संदेशा लेकर आयी थी. पर पहा... Read more
साझी पीड़: एक बुजुर्ग पहाड़ी विधवा का दर्द
बाहर से छन कर आती हुई धूप में एकाएक वह प्रकट हुई. बाएँ हाथ से घुटने को सहारा देते हुये और दाहिने हाथ से दरवाजा थामते हुए खुद को. मैंने उस अनजान वृद्धा को आते देखकर एक नजर गमी में बैठी दीदी क... Read more
सुनिए शेरदा अनपढ़ की संगीतबद्ध कविता ‘को छै तू’
इस तरह आने वाली पीढ़ी विरासत को संभालते हुए सम्मान देती है, आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है. शेरदा अनपढ़ की लोकप्रिय कविताओं में से एक है ‘को छै तू.’ करन जोशी उत्तराखण्ड के लोकगी... Read more
पुस्तक समीक्षा यह पुस्तक प्रोजेक्ट म्यूस के अन्तर्गत सन् 2017 में यूनिवर्सिटी औफ ईलिनौय प्रेस द्वारा छापी गयी है जिसके लेखक अमरीकी मूल की श्वेत प्रजाती से ताल्लुक रखने वाले स्टीफन फियोल हैं.... Read more
शहीद होते फौजी को अंतिम क्षणों में बीवी के अल्ट्रासाउंड की चिंता सताती रही
राधिका की जब आंख खुली कमरे में अनेस-मनेस हो रखी थी. अभी कुछ देर पहले ही तो आंख लगी थी लेकिन उसे लग रहा था पता नहीं कितना सो गई. आज दिप्पू दो महीने की छुट्टी काटकर जम्मू-कश्मीर जा रहा था. राध... Read more
जिंदे को लात, मरे को भात: एक उत्तराखंडी लोककथा
एक गांव में एक बहुत बूढ़ा अपने छोटे लड़के, बहू और अपनी औरत के साथ रहता था. उसके दो लड़के और भी थे, पर वे नौकरी की तलाश में बाहर चले गए थे और वहीं बस गये थे. बूढा अपने समय में बहुत प्रतिष्ठित... Read more
युगमंच नैनीताल : रंगमंच और सिनेमा जगत को नामचीन कलाकार देने वाला थिएटर ग्रुप
उत्तराखण्ड में रंगमंच के विकास की गरज से साल 1976 में ‘युगमंच’ की स्थापना की गयी. चार दशक के अपने सफर में युगमंच हिन्दी रंग जगत की उन चुनिंदा संस्थाओं में गिना जाता है जो पूरी प्रतिबद्धता, स... Read more
डुगडुगी की गड़गड़ाहट हवा में बुलंद हुई तो बाजार की सड़क पर गुज़रते राहगीरों का ध्यान अनायस ही उस ओर खिंचता चला गया जहाँ से गड़गड़ाहट की आवाज आ रही थी. डुगडुगी की गड़गड़ाहट का स्रोत एक उम्र द... Read more
मैमूद: शैलेश मटियानी की कालजयी कहानी
महमूद फिर ज़ोर बाँधने लगा, तो जद्दन ने दायाँ कान ऐंठते हुए, उसका मुँह अपनी ओर घुमा लिया. ठीक थूथने पर थप्पड़ मारती हुई बोली, “बहुत मुल्ला दोपियाजा की-सी दाढ़ी क्या हिलाता है, स्साले! द... Read more