जेठ महीने के पहाड़ी त्यार और उपवास
वैशाख बीतते रवि की फसल कट जाती. अनाज की सफाई सुखाई के बाद नया अनाज स्थानीय लोक देवताओं के थानों में भेंट कर दिया जाता. रोट भेट भी चढ़ती. गेहूं के बाद भुट्टों-जुनलों के लिए खेत तैयार करने की... Read more
ओ पृथ्वी! तुम्हारे पहाड़, हिमाच्छादित पर्वत, अरण्य प्रसन्न रखें. इसकी ऊंचाई, भव्यता और रहस्यात्मक सौंदर्य से उच्च विचार आयें, कल्पनाएं बलवतीं हों, सृजन की अनुभूतियों का संचार हो. यह धरती, यह... Read more
लौट आये प्रवासियों के लिये कितनी कारगार है उत्तराखंड सरकार की ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’
सत्तर के दशक में एक किताब भारत जैसे देश के आर्थिक विकास के लिए चमत्कारी बूटी साबित होने जा रही थी. विशेष कर पहाड़ की अर्थव्यवस्था के लिए जहां पर्याप्त संसाधनों के साथ परंपरागत हुनर और मेहनत... Read more
बर्फ से ढकी सात पहाड़ियों के बीच हेमकुंड झील
सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने विचित्र नाटक के छठे भाग में लोकपाल-दंड पुष्करणी के बारे में लिखा –हेमकुंड पर्वत है जहां, सप्तश्रृंग सोहत है वहांतहां हम अधिक तपस्या साधी... Read more
हुड़किया जागर, डमरिया जागर और मुरयो जागर
जमाना वीर लोगों को सम्मान देता है. उनके शौर्य, साहस और पराक्रम की गाथाओं को हर पीढ़ी अगली पीढ़ी को सौगात के रूप में भेंट कर जाती हैं. यही कथाएं लोक गायक सुरीले स्वरों के आरोह अवरोह में बांध... Read more
दूनागिरी पर्वत उपत्यका में बसी द्वाराहाट की नयनाभिराम कौतुक भरी पर्वत घाटी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध होने के साथ ही सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से भी विशिष्ट बनी रही है. महाभारत... Read more
तराई और उसके रहवासियों का इतिहास
कहा जाता है कि प्राचीन महाकाव्य काल में उत्तराखंड का तराई -भाभर इलाका ऋषि मुनियों की तपोस्थली थी. सीतावनी में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम बताया गया. मान्यता है कि सीता माता ने यहीं अपना वनवास ब... Read more
वैशाख आते ही रवि की फसल, गेहूं की सुनहरी बालियाँ पहाड़ के उपराऊ सीढ़ी दार खेतों से ले कर तलाऊँ के सेरों में पसर जाती है. साग-सब्जी जरूर जाड़ों की वनस्पति थोड़ा सिमटती है. तमाम स्थानीय देवी... Read more
उत्तराखंड सीमांत और नेपाल की विभाजक है काली नदी. 1815 के बाद ब्रितानी हुकूमत ने नेपाल को कालीपार सीमा से बांध दिया. इस घटना पर मोलाराम ने लिखा: डोटी मांहि गोरषा बैठे, कालीवार इंगरेज हि बै... Read more
बेमौसम जब साग सब्जी खेतों में नहीं उगती या फिर मौसम की गड़बड़ी से दूसरी जगह से सागपात लाना मुमकिन न हो तब पहाड़ में ‘सुखौट ‘से काम चलाया जाता. सुखौट का मतलब हुआ धूप में सुखाई सब्... Read more
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