धौली और नन्दा की कथा
कार्तिग के महीने गांव के ऊपर नीचे की सारियां फसल काटने के बाद खाली हो जाती. आसमान बरसात के बाद गहरा नीला ये स्यो (सेब) जैसे बड़े बड़े तारों से अछप रहता. हम सब बच्चे चौड़ी फटालों वाले आँगन में अ... Read more
रामी बलोद्याण की कथा
बरसाती झड़ी की एक सुबह से मैंने दादी से रट लगाई दूध का हलवा बना. वो बोली आज पिस्युं नी च बाबा (गेहूं का आटा). दो चार दिनों से घाम नहीं आया. बिसगुण कहाँ सुखाये. बिना गेहूं सुखाये जान्द्री में... Read more
सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा
बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप से धीरे-धीरे पिघलने लगा. झड़े पत्तों की मार से भूरे नंगे पेड़ों की टहनियों में रस बहने लगा.... Read more
चालाक गीदड़ और शिबजी की कथा
जिन दिनों खेतों में हल लगाने का काम होता घर के सब बड़े लोग बच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देते. दादाजी, दादी, माँ, चाचियाँ, ननि दादी, ठुली दादी सब कहते आज-कल सब बच्चे चुप सो जाओ. सब थके हैं. जब... Read more
मेहनती बहू और रात के अएड़ी की कथा
भरपूर चढ़क रूढ़ (गर्मी) पड़ रही थी. माटु, ढुंगी, पेड़, पत्ती, अल्मोड़ी, घिलमोड़ी, पौन-पंछी, कीट-पतंगारे, सांप-बाघ सब रूढ़ से बेहाल. सरग में दूर-दूर तक बादल का एक छींटा तक नहीं दिख रहा था. बिचारे पे... Read more
ह्यूंद का चोर और लागुली की काखड़ियाँ
इन दिनों भादो-असोज के चटक नीले आसमान से बिखरते घाम से हरे गलीचे सी बिखरी घास, पेड़ों की टहनियों से लिपटे पत्ते, एक दूसरे से उलझी लिपटी झाड़ियाँ सब हलके पीलेपन से ढंकने लगी थीं. ठागरों के सहारे... Read more
धुर गहराती कातिग के महीने चम्म चमकीले झीने उजास को बिखेरती जुन्याली रात का उजाला ऐसा कि दूर खड़ीक के पेड़ों पर पिंगलाई छोटी-छोटी खड़ीक की दाणी भी साफ दिखाई दे. कातिग के महीने में घर बौण का काम... Read more
सरग ददा पाणी दे
चौमासे की झुर-झुर ख़त्म होने के बाद का, भीगी खुनक लिए पहाड़ों का मौसम अपने परदेसियों को धाद (आवाज) देने लगता है. दोनों फसलें पक के तैयार होने लगती हैं. एक तरफ धान की पिंगलाई दूसरी तरफ कोदा (मं... Read more
चक्की, बुढ़िया और बच्चे की कहानी
सुदूर पहाड़ी गाँव में पठाली से छाये लाल मिट्टी और गोबर से लीपे गए एक घर के कोने मे लगाई जान्द्री (चक्की) में झुरझुराती पूस की बर्फीली झुसमुसी भोर में उस घर की बूढ़ी दादी घुर्र-घुर्र गेहूं पीस... Read more
फूलदेई से पहले खिलते हैं प्योंली के फूल
आसमान को छेदती, नुकीली ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटियों की तलहटी में देवदार,भोज और रिंगाल के हरे-भरे सघन जंगलों के बीच एक गहरे अनछुये उड्यार (गुफा) में कच्ची हल्दी के साथ गुलाबी बुरांस-सी रंगत वाली... Read more
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