इस फोटो को देखकर यदि हम भावुक नहीं होते या हमें गुस्सा नहीं आता तो निश्चित मानें हमारी स्थिति सामान्य नहीं है. तीन-तीन पुलिस वाले जिस युवा पर अपनी ताकत दिखा रहे हैं वे पहले ही बेहद कमजोर है. आज लाठियों के दम पर पकड़ में आया ये युवा बहुत लंबे समय से भाग रहा है.
(Protest Against Agneepath Scheme Uttarakhand)
सबसे पहले ये स्कूल के लिए भागा. एक दिन में 16-16 किमी भागता था. भूखा भागा, प्यासा भागा क्योंकि हमारी सरकार पहाड़ों पर स्कूल खोलने के बजाय बंद कर रही है. जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी के लिए भागा. पहाड़ के हर युवा की तरह पहला सपना सेना था इसलिए सेना में भर्ती के लिए सबसे ज्यादा भागा. सेना में सफलता नहीं मिली और बाहर हमारी सरकार इसको दो वक्त की रोटी नहीं दे पाई तो ये फिर भागा. कभी, आजकल क्या कर रहे हो जैसे सवालों से भागा, कभी बेरोजगारी का ताना देने वाले पिता से भागा, कभी सफलता का शिखर चूम रहे दोस्तों से भागा, कभी बीमार मां से भागा तो कभी अविवाहित बहन से भागा.
(Protest Against Agneepath Scheme Uttarakhand)
भागते-भागते आज ये उन युवाओं के बीच पहुंच गया जो हल्द्वानी में सेना से जुड़ी अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. यहां भीड़ खुद ही जुटी थी. इसका कोई नेता नहीं था. बिहार, उत्तरप्रदेश की हिंसक घटनाओं को देखने के बावजूद युवाओं का विरोध बहुत शांत था. पहाड़ के लोग होते ही शांत हैं. धरने पर बैठे और नारेबाजी कर रहे युवाओं को एक अफसर समझाने की जगह धमका रहा था. मानो जिले का राजा हो. उसे एहसास ही नहीं था कि इन युवाओं के माता-पिता के टैक्स पर वे पलता है.
अफसर का रौब देखकर भविष्य के लिए चिंतित युवाओं की दशा देख मेरा मन पसीज गया. इसके बाद आफिस पहुंचा तो पता चला युवाओं पर लाठीचार्ज कर दिया गया है और सब भाग गए. मुझे लगा भागना ही इनकी नियति है. बेरोजगारी का एक ही इलाज होता है भागना. लेकिन इस बार हमारी मित्र पुलिस ने इन युवाओं को भागने नहीं दिया. खोज-खोजकर इन्हें अपमानित किया. हां, एक बात और बता दूं इसमें कई वे युवा भी थे जो कुछ दिन पहले इन पुलिस वालों के परिवारों के साथ खड़े थे जब इन्होंने एरियर के लिए अपने पत्नी बच्चों को आगे किया था.
(Protest Against Agneepath Scheme Uttarakhand)
राजीव पांडे की फेसबुक वाल से, राजीव दैनिक हिन्दुस्तान, कुमाऊं के सम्पादक हैं.
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
View Comments
सरकार निरंकुश हो गई है ।
राजीव पांडे जी ने भागते युवक की व्यथा के बहाने व्यवस्था पर करारी चोट की है। मैं उनके संज्ञान में लाना चाहूँगा कि कुछ दशक पहले तक युवा पहाड़ से भिन्न-भिन्न कारणों से भाग जाते थे। फिर कुछ युवा घर वालों की रज़ामंदी से रोजगार की तलाश में भागने लगे। एक समय ऐसा भी आया कि अच्छी नौकरी मिल जाने की खुशी के साथ भागे। इस तरह महानगरों में अबतक विभिन्न कारणों से भागे लोगों की अच्छी खासी संख्या हो चुकी है, जिन्हें अब प्रवासी उत्तराखंडी के नाम से जाना जाता है।