पहाड़ी युवाओं के सपने की डगर को कठिन बना देगी ‘अग्निपथ योजना’

पहाड़ी सड़कों पर बेतहासा भागते, सड़क किनारे किसी पेड़ के तने गेंठकर बीम खींचते और आधी रात से भर्ती रैली की लाइन में खड़े होने वाले पहाड़ के लड़कों को सेना में भर्ती होने के बाद लगता कि बस अब जिन्दगी की गुजर बसर ठीक से हो जायेगी पर अब ऐसा नहीं होगा. केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजना एक सामान्य गुजर-बसर के सपने की डगर को कठोर बनाने आ रही है. केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस तरह से हैं-
(Agnipath Scheme Uttarakhand)

यह देशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार साल की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देता है. इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा और युवा कुछ समय के लिये सेना में भर्ती हो सकेंगे. 17.5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवारों में से लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी जिसमें 75 प्रतिशत को चार साल बाद निकाल दिया जायेगा. 4 वर्ष पूरे होने पर अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपए का एकमुश्त ‘सेवा निधि’ पैकेज का भुगतान किया जाएगा जिसमें उनका अर्जित ब्याज शामिल होगा. मृत्यु के मामले में भुगतान न किये गए कार्यकाल के लिये वेतन सहित 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि होगी.

भले ही सरकार द्वारा कहा जाय कि अग्निपथ योजना का उद्देश्य देशभक्त और प्रेरित युवाओं को ‘जोश’ और ‘जज्बे’ के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर प्रदान करना है लेकिन पहाड़ समेत एक बड़े वर्ग के लिये यह एक सपने जैसी नौकरी है जिससे उनका घर चलता है जिससे बच्चे पलते हैं.

देशभक्ति, जोश और जज्बे के नाम पर लाई जा रही इस योजना का असल मकसद रक्षा बजट में सैनिकों की तनख्वाह और पेंशन पर हो रहे खर्च को कम करना है. दरसल रक्षा बजट का 54 प्रतिशत सैनिकों की तनख्वाह और पेंशन पर खर्च होता है. सरकार न केवल इस खर्च को काटना चाहती है बल्कि बेरोजगारी के लगातार बढ़ते आंकड़े को भी कम करना चाहती है.
(Agnipath Scheme Uttarakhand)

इजरायल जैसे देशों से तुलना कर एक तरह का झूठ गढ़ा जा रहा है. इजरायल की प्रणाली और अग्निपथ में मूल अंतर यह है कि वहां 18 वर्ष के हर व्यक्ति को अनिवार्य ट्रेनिंग करनी पड़ती है. इजरायल इस ट्रेनिंग के दौरान सामान्य जेब खर्च मुहैय्या कराता है. क्योंकि इजरायल में यह ट्रेनिंग अनिवार्य है तो ऐसा नहीं होता कि ट्रेनिंग के बाद पढ़ाई में कोई आगे निकल जाता है. भारत में अग्निवीर 24 साल की उम्र में नौकरी के मौकों की पंक्ति में सबसे पीछे रहेगा.  

युवाओं की असल चिंता का कारण यही है. उन्हें चिंता है कि 4 साल बाद वह क्या करेंगे? उनके पास करीब 12 लाख रूपये हाथ में होंगे, साथ में होगी दसवीं या बारवीं की मार्कशीट और होगा एक अग्निवीर का सर्टिफिकेट. इस मार्कशीट और सर्टिफिकेट के साथ निजी क्षेत्र उन्हें क्या नौकरी दे सकते हैं? क्या निजी क्षेत्र 24 साल के एमबीए किये हुये एक उम्मीदवार के स्थान पर अग्निवीर को नौकरी देगी? एक अग्निवीर चार साल में केवल सुरक्षा के क्षेत्र में अनुभव हासिल कर सकता है क्या भारत में निजी क्षेत्र में लगी कम्पनियों के पास सुरक्षा क्षेत्र में उतनी नौकरियां हैं?
(Agnipath Scheme Uttarakhand)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

‘राजुला मालूशाही’ ख्वाबों में बनी एक प्रेम कहानी

कोक स्टूडियो में, कमला देवी, नेहा कक्कड़ और नितेश बिष्ट (हुड़का) की बंदगी में कुमाऊं…

21 hours ago

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

2 days ago

यूट्यूब में ट्रेंड हो रहा है कुमाऊनी गाना

यूट्यूब के ट्रेंडिंग चार्ट में एक गीत ट्रेंड हो रहा है सोनचड़ी. बागेश्वर की कमला…

2 days ago

पहाड़ों में मत्स्य आखेट

गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पहाड़ के गाड़-गधेरों में मछुआरें अक्सर दिखने शुरू हो…

3 days ago

छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगानी के सफर में हम भी तेरे हमसफ़र हैं

पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी हम…

3 days ago

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

4 days ago