दारमा घाटी में दुग्तालों का गांव दुग्तू
दुग्तू पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी का एक छोटा सा गांव है. पंचाचूली की गोद में बसा इस बेहद खूबसूरत गाँव में रं समाज के लोगों को निवास है जो कि दारमा घाटी का जनजाती समाज है. इनकी अपनी परंपराये... Read more
ओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी याद
बचपन से आज तक ईजा (मां) को कभी नहीं भूला. वह 1956 में विदा हो गई थी, जब मैं छठी कक्षा में पढ़ रहा था और ग्यारह साल का था. वह मेरी यादों में सदैव जीवित है. जब भी कठिन समय आया तो मुझे लगा मां म... Read more
उत्तरकाशी गंगोत्री रोड पर गंगोत्री से 21 किमी पहले एक छोटा सा पहाड़ी गाँव है धराली. धराली उत्तरकाशी-गंगोत्री हाइवे के दोनों तरफ बसा हुआ है. धराली अपने अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए विश्वव... Read more
मेरि ड्यूटि बौडरा, घर में छू मेरि ईजा भौतै बिमारा – उदित नारायण का गाया पहाड़ी गीत
पहाड़ और फ़ौज का सम्बन्ध बहुत पुराना और अन्तरंग रहा है. पहले विश्वयुद्ध के समय से ही कुमाऊँ-गढ़वाल के वीरों की बहादुरी के असंख्य किस्से-कहानियां अब किंवदंतियों का हिस्सा बन चुके हैं. अमूमन पहाड़... Read more
ब्रिटिश एयरफोर्स से जंगलात की नौकरी तक का सफ़र : त्रिलोक सिंह कुंवर की आत्मकथा का तीसरा हिस्सा
(पिछली कड़ी: बाबू का घर छोड़ना और अकेले बालक का संघर्ष – त्रिलोक सिंह कुंवर की आत्मकथा का दूसरा हिस्सा) मुझे तीसेक साल पहले अपने मकान की चार दीवारों के भीतर अपने पिताजी के साथ बैठकर बातच... Read more
‘न्यौली’ के बिना अधूरा है उत्तराखंड का लोकगीत
उत्तराखंड में जब भी लोकगीतों की बात होती है तो न्यौली अपना एक विशेष महत्व रखती है. न्यौली को न्योली भी लिखा जाता है. न्यौली कुमाऊं की एक प्रमुख गायन पद्धति है. कुमाऊंनी में न्यौली एक चिड़िया... Read more
वर्ल्ड योगा डे स्पेशल : गट्टू भाई की विपश्यना
एक दिन घटिया चरस के सेवन ने गट्टू भाई की ऐसी गत बनाई कि वो लगातार अठत्तर घंटे सोते रहे. उनकी इस सांसारिक अनुपस्थिति के दौरान जंगलात डिपार्टमेंट के दो टेन्डर, एक नामकरण और तीन शामें मिस हुईं... Read more
नई आर्थिक नीतियाँ आईं तो तोंदों की संख्या ख़ूब बढ़ गई. इतनी बढ़ी कि तोंदरोधी विशेषज्ञ पैदा हो गए. नया मार्केट बना. योगा, आयुर्वेदा, हर्बला-फर्बला जाने क्या-क्या माल कमाने के नए अवसर ले आया.... Read more
झन दीया बोज्यू छाना बिलौरी लागला बिलौरी का घामा हाथे कि कुटली हाथे में रौली नाके की नथुली नाके में रौली लागला बिलौरी का घामा बिलौरी का धारा रौतेला रौनी लागला बिलौरी का घामा. यह एक ऐसा कुमाऊं... Read more
बाबू का घर छोड़ना और अकेले बालक का संघर्ष – त्रिलोक सिंह कुंवर की आत्मकथा का दूसरा हिस्सा
(पिछली कड़ी – पिछली सदी के पहाड़ का दर्द जी उठता है त्रिलोक सिंह कुंवर की आत्मकथा में) जब मैं छात्रावास में ही था, अगस्त 1938 के पहले हफ़्ते में मुझे एक हरकारे द्वारा छः पन्ने का पत्र प्... Read more