शेरवुड कॉलेज नैनीताल
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक है. शेरवुड की स्थापना 1869 में नैनीताल में, आर्चडील बेलीर, एक अंग्रेज अधिकारी ने की थी. कॉलेज का नाम श... Read more
दीप पर्व में रंगोली
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक स्त्री की होती है जो त्योहार की व्यस्तता से थोड़ा समय निकालकर या संभवतः अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करने ह... Read more
इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ ही 5 दिनों तक मनाए जाने वाले दीपावली का त्योहार शुरू हो गया है. पर अभी भी लक्ष्मी पूजन किस दिन किया ज... Read more
गुम : रजनीश की कविता
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी… तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी, तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। एक सन्नाटा सा मौजूद रहता है मेरे कमरे में। खालीपन सा रहता है छागल (मोटे कपड़े या चमड... Read more
मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार मोड़ पार ऊँचे में बना भवन जो नामी गिरामी वैज्ञानिक और प्राचार्य डॉ देवी दत्त पंत का आवास ह... Read more
विसर्जन : रजनीश की कविता
देह तोड़ी है एक रिश्ते ने… आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी सांस की आवाज भी ना सुन पाया उसकी. देह पड़ी है सीने मैं, जो पूरा सीना खाली कर देगी. चलो विसर्जन के लिए चलें. कुछ... Read more
सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं. उनका एक परिचय यह भी है कि वह सर्वोदय सेवक स्वर्गीय मानसिंह रावत की पत्नी थी. उनका जीवन केवल एक पत्नी एक मां के रूप में ही नहीं बल्कि समाज के प्रति उ... Read more
भू विधान व मूल निवास की लहर
मूल निवास व भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की ऋषिकेश में संपन्न महारैली से उत्तराखंड आंदोलन के समय उपजे जोश की स्मृतियां जीवंत हो गयीं. प्रदेश के मूल निवासियों के हक-हुकूक की बुलंद आवाज प्रतिध... Read more
उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
कालिदास ने हिमालय को देवतुल कहा है. पुराणों में देवलोक की कल्पना भी हिमालय के कैलाश-मानसरोवर पथ के मध्य कहीं की है. देवताओं के कोषाध्यक्ष, कुबेर की नगरी अलकापुरी भी कैलाश के निकट ही बताई गई... Read more
मुखबा गांव का आतिथ्य
पहाड़ों की सुबह मेरे लिए कभी भी बिछुड़ी हुई अंतिम सुबह नहीं रही,यह हर साल आबो-हवा बदलने के लिए पहाड़ जाने के एवज में वही चिर-परिचित सुबह ही है जिसको हमेशा मैं अपने ज़ेहन में करीने से रखती हू... Read more