डोला पालकी आंदोलन
उत्तराखण्ड का डोला पालकी आंदोलन आधुनिक भारतीय इतिहास में निम्न जाति उत्थान आंदोलनों का ही एक रूप रहा. भारतीय समाज में लम्बे समय से निम्न जातियों को कर्मकाण्डीय एवं अन्य कारणों से न केवल साम... Read more
लोककथा : कर्ज
दूर देश से यह तीर्थ यात्री केदारनाथ धाम की यात्रा पर पहुंचा. बाबा केदार के दर्शन कर वह वापस लौट रहा था कि उसके रुपये कहीं गुम हो गए. वह यात्री या तो अपने यात्राखर्च के शेष रुपये कहीं भूल गया... Read more
अब तक तीन ही देश — अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और जापान — ही जिस सूर्य मिशन को कर पाए हैं उसे दिशा में अब भारत ने भी कदम बढ़ा दिए हैं. इसरो ने साल 2019 में देश के पहले सूर्य मिशन की घोषणा की. ले... Read more
यह लेख महिला पत्रिका ‘उत्तरा‘ की वेबसाईट से सभार लिया गया है. उत्तरा महिला पत्रिका की उत्तराखंड की पहली महिला पत्रिका है. उत्तरा महिला पत्रिका को अब ऑनलाइन भी पढ़ा जा सकता है. उ... Read more
कहानी : मिसेज ग्रीनवुड
अल्मोड़ा के उत्तर की ओर सिंतोला वन पड़ता है. बाँज, देवदार, चीड़ और काफल के घने गाछों से घिरे सिंतोला वन में मिसेज ग्रीनवुड अपनी छोटी-सी ‘ग्रीनवुड कॉटेज’ में रहती हैं. मिसेज ग्रीन... Read more
नैनीताल जिले का तराई-भाभर क्षेत्र
नैनीताल जिले का तराई-भाभर क्षेत्र शिवालिक पर्वत की जड़ में स्थित है. पहाड़ों से तेजी से बहकर आने वाली नदियों और भारी बारिश से हुए भूस्खलन की वजह से पहाड़ से बहकर आने वाले कंकड़, पत्थर और मिट... Read more
पिथौरागढ़ जिले से सातों-आठों पर्व की तस्वीरें
कुमाऊं के बहुत से क्षेत्रों में सातों-आठों सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. सातों-आठों कुमाऊं का एक ऐसा लोकपर्व है जिसमें स्थानीय लोग मां पार्वती को अपनी दीदी और भगवान शिव को भिना के रूप में पूजते ह... Read more
आखिरकार एक साल के इंतजार के बाद एक बार फिर से नंदा के जयकारों से पूरे पहाड़ का लोक नंदामय हो गया है. 31 अगस्त से नंदा के मायके में नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा शुरू हो गयी है. नंदा धाम कुरू... Read more
उत्तराखंड के इतिहास में काला दिन है 1 सितम्बर
1 सितम्बर, 1994 की सुबह खटीमा में हमेशा की तरह एक सामान्य सुबह की तरह शुरू हुई. लोगों ने अपनी दुकानें खोली थी. सुबह दस बजे तक बाजार पूरा खुल चुका था. तहसील के बाहर वकील अपने-अपने टेबल लगा कर... Read more
सोचो मत, जागो और पूरे मन से अपना कर्म करो
जिसे यह बात समझ में आ जाए कि जीवन जीने के लिए है, सोचने के लिए नहीं, उसे कभी कोई दुख नहीं सता सकता, क्योंकि जीने के लिए इतने सारे अनुभव हैं. आखिर हम अनुभवों और अनुभूतियों के लिए ही तो जीते ह... Read more