एक ऑटो चालक के क्रिकेटर बेटे की सच्ची कहानी
जानिए कैसे Power of Visualisation और अवचेतन मन की शक्ति से बनाई उसने अपनी सफलता की राह. विडियो ज़रूर देखें(Aakash Mishra) आज से करीब तीन साल पहले की बात है. कांदिवली में नवभारत टाइम्स का हेल... Read more
‘गिर्दा’ और हमारे सपनों का उत्तराखंड
गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर के ऐसे जनकवि रहे कि जिनके जनगीतों ने आंदोलन में जान फूंक दी थी. गिर्दा सिर्फ जनकवि नहीं थे बल्कि एक शानदार वक्ता भी थे. लयबद्ध तरीके से गा... Read more
आखिर क्यों भूल गये हम ‘कालू महर’ को
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखण्ड के काली कुमाऊं यानि वर्तमान चम्पावत जनपद का अप्रतिम योगदान रहा है. स्थानीय जन इतिहास के आधार पर माना जाता है कि लोहाघाट के निकटवर्ती सुई-बिसुंग इलाके क... Read more
स्त्रियों के लिये वर्जित नंदादेवी राजजात की पहली महिला यात्री ‘गीता गैरोला’ के यात्रा वृतांत: ये मन बंजारा रे
पहाड़ों की तेज ठंडी ताकतवर हवा, मुझे मेरे पिट्ठू के साथ सर्पीली पगडंडियों पर सहलाती हुई मेरी थकान उतार देती हैं. मेरी आँखें घनी गहरी हरियाली से सजे जंगलों, दूर ऊँची बर्फ़ीली छोटी से तेजी से... Read more
दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार उत्तराखंड की ‘गर्तांग गली’ पर्यटकों के लिए खुली
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में स्थित गर्तांग गली हमेशा से पर्यटकों के बीच रोमांच का कारण रहा है. उत्तरकाशी जिले में स्थित गर्तांग गली भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की ऐतिहासिक गवाह ह... Read more
देघाट की फ़िज़ा में आज बारूद की ‘बू’ थी
1942 का साल था और तारीख आज की थी. चौकोट की तीनों पट्टियों की एक सभा देघाट में होनी थी. देघाट में विनौला नदी के पास देवी के एक मंदिर में करीब 5 हजार लोग एकत्रित थे. पुलिस के कुछ सैनिक सभा के... Read more
पांडवों की बिल्ली और कौरवों की मुर्गी कैसे बनी महाभारत का कारण: कुमाऊनी लोक साहित्य
कुमाऊं का यह दुर्भाग्य रहा है कि यहां का लोक साहित्य कभी सहेज कर ही नहीं रखा गया. इतिहास में ऐसी कोई कोशिश दर्ज नहीं है जिसमें यहां की परम्परा और संस्कृति को सहेजने की ठोस कोशिश देखने को मिल... Read more
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का मशहूर निबंध है ‘कुटज’. गिरिकूट यानी पहाड़ों की चोटी पर पैदा होने वाला वृक्ष है कुटज. कठिन पहाड़ी परिस्थितियों के बीच पैदा होने पर भी अपने अतुलनीय सौन्दर्य से स... Read more
कुमाऊं में दाह संस्कार का पारंपरिक तरीका
मृतक संस्कार में मृत्यु के समय गोदान और दशदान कराया जाता है. मरणासन्न व्यक्ति के मुख में तुलसीदल और गंगाजल डालते हैं. फिर मृतक को स्नानोपरान्त चन्दन और यज्ञोपवीत धारण कराए जाते हैं. मृतक के... Read more
बागेश्वर से भारतीय फुटबाल टीम का उभरता सितारा
बागेश्वर जिले के एक छोटे से गांव से निकले रोहित दानू की मेहनत का परिणाम है कि आज उन्हें भारतीय फुटबाल का उभरता सितारा माना जाता है. भारत की अंडर-14, 15, 16, 17 और 19 टीम से खेल चुके 19 वर्ष... Read more