स्कूल की पाटी और भाई-बहन की मीठी नोक-झोंक
पिछली कड़ी- स्मृति द्वार पर प्रेम की सांकल प्राप्ति की ऑनलाइन क्लास चल रही है और वह सुबह उठकर फटाफट नित्य कर्म से निपट कर, तैयार होकर मोबाइल फोन की स्क्रीन ऑन करके बैठ चुकी हैं. उनके बराबर मे... Read more
अल्मोड़े में सबसे स्वाद बाल मिठाई किसकी है
कुमाऊं और बाल मिठाई तो अब जैसे एक-दूसरे के पर्याय ही बन चुके हैं. आप कुमाऊं कहिये बाल मिठाई का जिक्र अपने आप ही आ जाता है या बाल मिठाई कहिये तो कुमाऊं अपने आप उससे जुड़ जाता है. कुमाऊं के अल... Read more
लोक गायक मदन राम जी का गीत ‘घर छू पहाड़ सौरास देश को’ कैसेट के दौर का एक लोकप्रिय गीत रहा है. स्टूडियो में रिकार्ड इस गीत को पहाड़ में तो ख़ासा पसंद किया ही गया लेकिन यह गीत मैदानी इलाकों मे... Read more
टनकपुर किताब कौथिग का पहला दिन
टनकपुर आज तक कुमाऊं के इतिहास में चर्चित रहा अपने रेलवे जंक्शन के कारण, नेपाल से लगी अपनी सीमा के कारण, मां पूर्णागिरि के शक्तिपीठ के कारण, परंतु आज से टनकपुर की एक और पहचान जुड़ गई है और वह... Read more
बादल भिना पर-पर जा, घमुलि दीदी यथ-यथ आ
पहाड़ियों की एक ख़ास बात यह है कि वह सभी से परिवार का रिश्ता बांध लेते हैं फिर क्या देवता क्या प्रकृति. मसलन कुमाऊं और गढ़वाल की देवी नंदा देवी को ही लीजिए पहाड़ियों ने देवी नंदा से बेटी का... Read more
सम्पूर्ण हल्द्वानी खास की भूमि नजूल है?
उत्तराखंड के नैनीताल जिले की हल्द्वानी तहसील के बनभूलपुरा क्षेत्र की अधिकाँश आबादी इन दिनों सड़कों पर है. सर्दी के इस मौसम में अचानक यह क्षेत्र देश- दुनिया के स्तर पर चर्चा का केंद्र बनता जा... Read more
स्मृति द्वार पर प्रेम की सांकल
जब हमारे घर में एक किराएदार की तरह लीज़ा आई थीं तब वह गर्भिणी थीं. पति फौज में हैं उनके इसलिए ऐसा मकान चाहते थे कि अगर कभी भी सीमा पर या फिर किसी आपात स्थिति में बाहर जाना पड़े तो लीज़ा को क... Read more
पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का इतिहास
हल्द्वानी शहर में विभिन्न सांस्कृतिक टोलियों के साथ बागेश्वर, सालम, जागेश्वर आदि स्थानों से पारम्परिक वाद्ययन्त्रों के साथ कलाकारों को आमंत्रित किया गया. एक बात यहां ध्यान देने की यह भी है क... Read more
इतिहास का विषय बन चुकी हैं उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों की पारम्परिक पोशाकें
विश्व के अन्य भागों की भाँति ही उत्तराखण्ड की संस्कृति भी अपने आप में समृद्ध रही है, परन्तु आधुनिकता की चकाचौंध में दिन-प्रतिदिन इसकी चमक धूमिल होती जा रही है. शिक्षा और जागरुकता का प्रभाव य... Read more
पहाड़ियों की अंग्रेजी टैट है
दिन भर की थकी हारी आमा जैसे ही सूरज डूबने के बाद घर में घुसी तो देखा किशन अंदर चारपाई पर पसरा हुआ है. आमा किशन पर झल्लाते हुए बोली: “किशन्या! कि डी-टोप दिरा त्वेलि ये बे टैम में?” (किशन! क्य... Read more