लैंसडाउन पर 1987 में प्रकाशित एक दिलचस्प लेख
उत्तर रेलवे के कोटद्वार स्टेशन से 42 कि०मी० पुरातन शहर दुगड्डा से 27 कि०मी० उत्तर में 136 पुरानी छावनी युक्त एक छोटा किन्तु सुन्दर नगर लेन्सडौन लगभग 1780 मी० की ऊंचाई पर बसा है. लैन्सडोन का... Read more
साल 1929 में गांधीजी अपनी पर्वतीय यात्रा पर थे. दो दिन ताड़ीखेत में रहने के बाद अल्मोड़ा अगला पड़ाव था. अल्मोड़ा में स्थानीय म्युनिसिपलिटी की ओर से गांधीजी को एक मानपत्र दिया गया. हिन्दी में... Read more
कल गंगा दशहरा है
इस वर्ष गंगा दशहरा 30 मई के दिन पड़ रहा है. पहाड़ों में इसे दसार या दसौर भी कहते हैं. इस दिन कुमाऊं क्षेत्र के हिस्सों में घरों के मुख्य दरवाजों के ऊपर और मंदिरों में गंगा दशहरा पत्र लगाया ज... Read more
रंवाई के उत्तरकाशी जनपद के बड़कोट नगरपालिका के अन्तर्गत यमुना नदी के तट पर बसा हुआ एक स्थान है तिलाड़ी जो अपने नैसर्गिक सौंदर्य और सघन वन संपदा के लिए प्रसिद्ध है किंतु दुख कि बात है कि तिला... Read more
भारत के अलावा और कहाँ मिलता है ‘काफल’
इन दिनों पहाड़ को जाने वाली सड़कों के किनारे काफल की टोकरी लिये पहाड़ी खूब दिख रहे हैं. लोक में माना जाता है कि काफल देवताओं द्वारा खाया जाने वाला फल है. देवताओं द्वारा खाए जाने वाले ख़ालिस... Read more
आज के समय नैनीताल किसी परिचय का मोहताज नहीं. पर एक समय ऐसा भी था जब लोग नैनीताल की स्थिति को लेकर असमंजस में थे. यह असमंजस अंग्रेजों को अधिक था. स्थानीय लोगों को नैनीताल के विषय में तो खूब ज... Read more
1 मई और रुद्रप्रयाग का बाघ
यह लेख वरिष्ठ पत्रकार व संस्कृतिकर्मी अरुण कुकसाल की किताब ‘चले साथ पहाड़’ का एक अंश है. किताब का ऑनलाइन पता यह रहा – ‘चले साथ पहाड़’ – सम्पादक(Gulabrai Mela Rudraprayag) गुलाबराय आने... Read more
खोज्यालि-खोज्यालि, मेरी तीलु बाखरी
पशुपालक समाजों में पशु के गुण-विशेष से आत्मीयता बरती जाती रही है. नेगी जी ने गढ़वाल की प्राथमिक अर्थव्यवस्था आधारित पशुपालन पर एकाधिक गीत गाए, जिनमें ‘ढ्येबरा हर्चि गेना’ से लेकर... Read more
गुप्तकाल में कुमाऊं
कुषाण शासन के विघटन के उपरान्त उत्तर भारत में जिन राजाओं ने अपने छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित किए उनमे से एक का नाम घटोत्कच गुप्त था. गुप्त वंश का संस्थापक इन्हीं को माना जता है. कुछ इति... Read more
चाय की खेती की असीम संभावनायें हैं उत्तराखंड में
उत्तराखंड में चाय की खेती का प्रथम संदर्भ विशप हेबर ने सन् 1824 में अपनी कुमाऊँ यात्रा में दिया है. सरकारी वानस्पतिक उद्यान सहारनपुर के अधीक्षक डॉ. रामले उत्तराखंड में चाय की खेती हो सकने से... Read more