एक युवा कवि को पत्र – 5 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
एक डग भीतर जाने के लिए सौ डग बाहर आना पड़ता है
अपनी नई कविताओं की रोशनी में कवि लीलाधर जगूड़़ी -शिवप्रसाद जोशी लीलाधर जगूड़ी अपनी ही कविता में एक नवागंतुक की तरह दाखिल हो रहे हैं और भीतर जितना पड़े हैं उससे कहीं ज़्यादा बाहर खड़े हो गए... Read more
मैं शायद अमर हो जाऊं
अमरता के अहसास की भयावनी रात -शरद जोशी कल रात जब सोया तो एकाएक मैंने अनुभव किया कि हिंदी साहित्य का मोटा इतिहास मेरे सीने पर रखा है और उस पर एक स्कूल मास्टर बैठा बैंत हिला रहा है. एकाएक मेरे... Read more
एक युवा कवि को पत्र – 4 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
लालटेन की तरह जलना
मंगलेश डबराल की कविता और जीवन पर कृष्ण कल्पित – शिवप्रसाद जोशी महत्त्वपूर्ण रचनाकार पर लिखने का आखिर क्या तरीक़ा हो. वे औजार कौन से होंगे जिनसे एक रचनाकर्मी के व्यक्तित्व और कृतित्व की... Read more
अच्छे अध्यक्षों की अदा
अध्यक्ष महोदय -शरद जोशी हर शहर में कुछ अध्यक्ष किस्म के लोग पाए जाते हैं. यह शहर के साइज़ पर निर्भर करता है कि वहां कितने अध्यक्ष हों. छोटे शहरों में एक या दो व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हर कहीं... Read more
शायद वहाँ एक आंसू था : मंगलेश डबराल की कविता
जीवन के लिए -मंगलेश डबराल शायद वहाँ थोड़ी सी नमी थी या हल्का सा कोई रंग शायद सिरहन या उम्मीद शायद वहाँ एक आंसू था या एक चुम्बन याद रखने के लिए शायद वहाँ बर्फ़ थी या छोटा सा एक हाथ या सिर्फ़... Read more
चूहे को साहित्य से क्या करना
अथ श्री गणेशाय नम: -शरद जोशी अथ श्री गणेशाय नम:, बात गणेश जी से शुरू की जाए, वह धीरे-धीरे चूहे तक पहुँच जाएगी. या चूहे से आरंभ करें और वह श्री गणेश तक पहुँचे. या पढ़ने-लिखने की चर्चा की जाए.... Read more
एक युवा कवि को पत्र – 3 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
मेरे घर का भी सवाल है : लीलाधर जगूड़ी की कविता
ईश्वर और आदमी की बातचीत -लीलाधर जगूड़ी जानते हो यह मूर्ति मेरी है और कुछ लोग इसे पूजने आ रहे हैं तुम्हें क्या चाहिए? क्या तुम्हारा भी व्रत है? नहीं नहीं, यह मूर्ति मेरी है और यह बिक चुकी है ख... Read more