तीलू रौतेली की दास्तान: जन्मदिन विशेष
मध्यकाल में गढ़वाल के पूर्वी सीमान्त के गांवों पर कुमाऊं की पश्चिमी उपत्यकाओं पर बसे कैंतुरा (कत्यूरा) लोग निरंतर छापा मार कर लूटपाट करते रहते थे. अनुमान किया जाता है कि उस काल में गढ़राज्य... Read more
कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़
कुलीबेगार से पहले कुमाऊं में सामाजिक हलचल: वर्ष 1942 में खुमाड़ सल्ट तथा सालम में जिस विद्रोह का प्रस्फुटन हुआ, उसकी पृष्ठभूमि को समझने के लिए कुमाऊं में ब्रिटिश राज के इतिहास को समझना भी आवश... Read more
कंकालों के अनसुलझे रहस्यों वाले रूपकुंड की यात्रा
विनीता यशस्वी विनीता यशस्वी नैनीताल में रहती हैं. यात्रा और फोटोग्राफी की शौकीन विनीता यशस्वी पिछले एक दशक से नैनीताल समाचार से जुड़ी हैं. रुपकुंड उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित झील है... Read more
भारत छोड़ो आंदोलन और कुमाऊं के वीर
9 अगस्त 1942 को सूरज की पहली किरण से पहले ही आपरेशन ‘जीरो आवर’ के तहत देश भर में कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार किये जा चुके थे. अंग्रेजों की अचानक हुई इस कार्रवाई के कारण पू... Read more
Popular Posts
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध