ये कौन आया…
छह-सात दशक पहले, हिंदी सिनेमा में रोमानी उत्थान के गीतों की जो धारा बहनी शुरू हुई, लंबे अरसे तक उनका प्रभाव बना रहा. इन गीतों के जरिए सिनेप्रेमियों को लौकिक प्रेम को अभिव्यक्त करने के कई रंग... Read more
रूना लैला: क्वीन ऑफ़ बांग्ला पॉप
क्वीन ऑफ़ बांग्ला पॉप के नाम से मशहूर रूना लैला, बॉलीवुड में एक ताजा हवा के झोंके सी आईं. उनका स्वर भारतीय उपमहाद्वीप में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. एक दौर में चटगांव से लेकर कराची तक, उन... Read more
एक लोक भाषा कवि
लोकभाषा में उनका उपनाम ‘चाखलू’ था, तो देवनागरी में ‘पखेरू’. दोनों नाम समानार्थी बताए जाते थे. भयंकर लिक्खाड़ थे. सिंगल सिटिंग में सत्तर-अस्सी लाइन की कविता लिख मारते,... Read more
दूरदर्शन के ध्वनि-संकेत के साथ, सबका अपना-अपना काम-धाम छोड़कर टेलीविजन सेट के आगे बैठ जाना. मोहल्ले का मोहल्ला यानी समूचा जमघट, समाचार सुनने को तैयार. तब दस फ़ीसदी भी लोगों के यहाँ टेलीविजन... Read more
जानलेवा कवि
‘जानलेवा’ उनका तखल्लुस था, ओरिजिनल नाम में जाने की, कभी किसी ने जरूरत ही नहीं समझी. संपादक को जब उन्होंने अपनी हस्बमामूल कविता सुनाई, तो संपादक ने पहले तो रस लेने की भरसक कोशिश क... Read more
ट्रांजिस्टर लटकाए हुए रिमोट खोजने की जद्दोजहद. अबोध सवाल. जिज्ञासा भरे सवाल. अजीबोगरीब हरकतें. जवाब देने वालों का उससे पूछना, “पीके आया है क्या?” बारंबार यही सवाल पूछे जाने पर वह... Read more
भगवान शिव के विषय में मजाक-छेड़छाड़ भरा गीत
‘बोल गोरी बोल, तेरा कौन पिया…’ गीत, फिल्म मिलन (1967) का एक पॉपुलर गीत है, जो सुनील दत्त और जमुना पर फिल्माया गया. इस गीत को सुनील दत्त और जमुना पर, जमीदार और उसकी पुत्री र... Read more
पार्श्वगायक मुकेश ने हिंदी सिनेमा को एक-से-एक नायाब नगमे दिए. उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड तो कई मिले (चार बार), लेकिन राष्ट्रीय अवार्ड हासिल नहीं हुआ. एकमात्र राष्ट्रीय अवार्ड जो उनके हिस्से आया... Read more
3 ईडियट्स (Three Idiots) निर्देशक: राजू हिरानी (Raju Hirani) गंभीर मुद्दों को हल्के-फुल्के अंदाज में कहने और सेल्यूलाइड स्क्रीन पर उतारने में, राजू हिरानी माहिर सिनेकार हैं. जैसे-जैसे ऑडियंस... Read more
लगे रहो मुन्नाभाई: राजू हीरानी की बेजोड़ फिल्म
चाहे गंभीर बातों को मनोरंजक तरीके से कहना हो या फिर गाढ़ी शब्दावली अथवा गंभीर विचारों को मनमाफिक तरीके से समझाना, इन मामलों में राजू हीरानी बेजोड़ है. मुन्ना-सर्किट के माध्यम से गांधीवाद की... Read more
Popular Posts
- कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब
- कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा