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1 Comments

  1. इरा

    नैनीताल में इस दफ़ा बुराँश के पेड़ बहुत कम दिखे। काफल का फल अप्रैल के अंत तक बाज़ार में नहीं आया था। सो हम चखे बिना ही लौट आये। आपका प्रयास प्रशंसनीय है। परंतु आमजन को लगता है की पर्यावरण को बड़े बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरणविद ही बचा सकते है। अतः वे ऐसे मंच से जुड़ना ही नहीं चाहते।

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