पिछली शताब्दी की महानतम प्रतिभाओं में एक थे बर्ट्रेंड रसेल. वे एक ऐसे गणितज्ञ थे जिन्हें नोबेल पुरुस्कार मिला था. यह उनके व्यक्तित्व का एक दूसरा बड़ा आयाम थे कि वे एक विख्यात दार्शनिक भी थे जिन्हें दुनिया का यह सबसे बड़ा पुरुस्कार साहित्य में उनके योगदान के लिए मिला. इसके अलावा वे एक सामाजिक चिन्तक भी थे जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों में महिलाओं के अधिकारों की मुखर लड़ाई लड़ी और अपनी सोच के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा.
![Mathematician who won Nobel](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/05/Romila-Thapar-and-Bertrand-Russel.jpg)
भारतीय इतिहासकार रोमिला थापर के साथ बर्ट्रेंड रसेल
वे युद्ध को मानव समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप मानते थे और अपने इन विचारों के चलते उन्होंने पहले विश्वयुद्ध का विरोध किया जिसके एवज में उन्हें जेल जाना पड़ा. एक प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने हितालतहिटलर, स्टालिनवाद, वियतनाम में अमरीकी आक्रमण, परमाणु बम और जातीय भेदभाव का विरोध किया. शान्ति के लिए उनका संघर्ष ही उनका जीवन था.
अपनी मृत्यु से तीन माह पहले यानी जब वे 97 साल के हो चुके थे, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को चिठ्ठी लिख कर अनुरोध किया कि वे दक्षिण-पूर्व एशिया में अमेरिका द्वारा किये गए अपराधों की पड़ताल के लिए एक कमीशन का गठन करें. यही कारण हैं कि बर्ट्रेंड रसेल को बीसवीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में गिना जाता है.
![Mathematician who won Nobel](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/05/Rajendra-Kumar-and-Bertrand-Russel.jpg)
भारतीय साइन अभिनेता राजेन्द्र कुमार के साथ बर्ट्रेंड रसेल
इस सब के बावजूद रसेल मानते थे कि गणित जीवन में उनका सबसे बड़ा उद्देश्य और आनंद का सबसे बड़ा स्रोत था.
18 मई 1872 को जन्मे बर्ट्रेंड रसेल ने अपनी आत्मकथा ‘द ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ बर्ट्रेंड रसेल’ में लिखा है कि गणित के बारे में और अधिक जानने की उनकी ललक ने उन्हें आत्महत्या के विचारों से दूर रखा. “11 साल की आयु में मैंने यूक्लिड को पढ़ना शुरू किया और इस काम में सात साल बड़े मेरे भाई ने मेरे अध्यापक की भूमिका अख्तियार कर ली. यूक्लिड इतना चमकदार था जैसे पहला प्यार होता है. मुझे नहीं पता था की दुनिया में इतना स्वादिष्ट भी कुछ हो सकता है.”
![Mathematician who won Nobel](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/05/Bhutto-and-Bertrand-Russel.jpg)
पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भुट्टो के साथ
एक टीनएजर के रूप में एडवांस्ड गणित पढ़ते हुए उन्होंने ईसाई धर्म के कुछ कट्टर सिद्धांतों पर प्रश्न किये और 18 की आयु में उन्होंने इश्वर और मृत्योपरांत जीवन के सिद्धांतों को खारिज कर दिया. अपने इन विश्वासों पर वे जीवन भर कायम रहे.
अपने जीवन में रसेल ने अनेक सामाजिक आयर दार्शनिक ग्रन्थ लिखे और विश्वयुद्ध का विरोध करते समय मिले कारावास के दौरान उन्होंने ‘इंट्रोडक्शन टू मैथमेटिकल फिलोसॉफी’ नामक एक महत्वपूर्ण किताब लिखी. जीवन को लेकर उनके व्यापक और मानवतावादी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए स्वीडन की नोबेल एकेडमी ने उन्हें 1950 का साहित्य का नोबेल सम्मान देने की घोषणा की.
![Mathematician who won Nobel](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/05/Russell_with_John_and_Kate.jpg)
अपने बच्चों जॉन और केट के साथ
बर्ट्रेंड रसेल की मृत्यु 2 फरवरी 1970 को हुई. हमारे देश में महात्मा गांधी और ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर से उनके अन्तरंग सम्बन्ध रहे और वे इनका बहुत सम्मान किया करते थे.
आज इस महाप्रतिभा का जन्मदिन है.
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