कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के संस्थापक अध्यक्ष रहे बलवन्त सिंह चुफाल हल्द्वानी वह भाबर के क्षेत्र में पर्वतीय समाज के लिए एक ऐसा नाम रहा है, जो निडर थे और पहाड़ के किसी व्यक्ति के उत्पीड़... Read more
चेरी ब्लॉसम और वसंत
यहाँ धूप नहीं आती बस छाया है खिड़की के कोने से जो रोशनी आती है उस रोशनी में धूल के चमकीले कण नाचते से लगते है. जीवन बरबस बरस रहा है. (cherry blossom and spring) मेरे बचपन वाले घर के सामने एक... Read more
वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
रामगंगा घाटी की स्थानीय बोली में आभूषणों को ‘हतकान’ कहा जाता है, इससे ज्ञात होता है कि प्राचीन समय में यहाँ के लोग कान और हाथों के आभूषणों से ही परिचित थे। इन दोनों अंगों को अलंकृत करने वाले... Read more
ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
छोटी मुखानी में हुई ऐपण प्रतियोगिता पर्वतीय लोक संस्कृति ऐपण कला को संरक्षित व उसको बढ़ाने के उद्देश्य से छोटी मुखानी में ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. विभिन्न वर्गों में आयोजित प्रतियोगिता... Read more
मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज उसी का राज था. हमारे शरीर लगातार हिमांक के पास थे और हमारे मन-मस्तिष्कों में भावनाओं का उबाल क्वथनांक से ऊपर पहुँच रहा था.... Read more
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120 बरस पहले के कुमाऊं-गढ़वाल के बारे में बहुत दिलचस्प विवरण पढ़ने को मिलते हैं. प्रस्तुत है इस किताब से... Read more
पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए महज 44 साल की उम्र में विश्वविख्यात ‘हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (एचएमआई), दार... Read more
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120 बरस पहले के कुमाऊं-गढ़वाल के बारे में बहुत दिलचस्प विवरण पढ़ने को मिलते हैं. प्रस्तुत है इस किताब से... Read more
बहुत कठिन है डगर पनघट की
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते रहे जहाँ भेजा चला गया और फिर एम बी कॉलेज हल्द्वानी. भय ये भी था कि डिग्री प्राचार्य में आना है. भले ही अनुवांशिकता में बाबूग... Read more
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के नाम जानते हैं. मेघा आ, सिपैजी, इकुलांस, गोपी भिना, केदार, और कितनी? हाल में आई संस्कार या फिर गढ़-कुमौं... Read more


























