सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा
बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप से धीरे-धीरे पिघलने लगा. झड़े पत्तों की मार से भूरे नंगे पेड़ों की टहनियों में रस बहने लगा.... Read more
बदलु राम का बदन जमीन के नीचे है
असम रेजिमेंटस भारतीय सेना की सबसे पुरानी और निर्भीक रायफल्स में शामिल है जिसकी टैग लाईन ही ‘तगड़े रहो’ है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने असम रायफल्स को असम में स्थित त... Read more
संगतकार -मंगलेश डबराल मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती वह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थी वह मुख्य गायक का छोटा भाई है या उसका शिष्य या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश... Read more
साझा कलम: 6- प्रियंका पाण्डेय
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more
वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बने जलवायु परिवर्तन के असर से 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड भी अछूता नहीं है. असर उत्तराखंड में वन्यजीवों पर ही नहीं वनस्पतियों पर भी दिखाई देने लगा है. वे भी... Read more
पहली दफा मानव शरीर में देवता का अवतरण है नौताड़
उत्तराखण्ड में जागर के धार्मिक अनुष्ठान का बहुत बड़ा महत्त्व है. जागर के दौरान व्यक्ति शरीर में इष्टदेव का अवतरण होता है. यह देवता लोगों की समस्याओं के कारण बताता है और उनका निदान भी करता है.... Read more
नदी, जंगल और बाउल की तान
उत्तर पूर्व : नदी, जंगल और बाउल की तान – जितेन्द्र भाटिया पश्चिम बंगाल का बागडोगरा हवाईअड्डा और इससे सटकर फैला सिलीगुड़ी शहर एक तरह से दार्जीलिंग, असम, सिक्किम और भूटान का सिंहद्वार है... Read more
हिंदी की नई पौध के लिए एक चिट्ठी : नसीहत नहीं, ‘हलो’ मेरे नए रचनाकार दोस्तो! आज से करीब पचपन साल पहले मैंने हिंदी लेखकों की दुनिया में प्रवेश किया था. वो पिछली सदी के साठ के दशक का आरंभिक दौ... Read more
1994 में मुजफ्फरनगर की अमानवीय घटना घट चुकी थी और संभवतः आजादी के बाद पहली बार उत्तराखंड के छोटे-छोटे कस्बों में कर्फ्यू लगा था. उत्तराखंड के सीधे-साधे ग्रामीण और कस्बेवासियों के लिये नित्ता... Read more
कैसे मिलती थी शराब अहमदाबाद में
कैसे मिलती थी शराब अहमदाबाद में -सूरज प्रकाश मैं 1989 से 1995 लगभग 75 महीने अहमदाबाद में रहा. ज्यादातर अकेले ही रहना हुआ. बेशक मैं उस मायने में पियक्कड़ या शराबी नहीं माना जा सकता जिस मायने... Read more