बदलते परिवेश का पहाड़ – दूसरी क़िस्त
कथियान कुछ एक दुकानों, ढाबों, चाय के खोमचों और कुछ एक बेमकसद टहलते युवाओं का ठौर है. इन सबों के अलावा एक बारहवी तक का विद्यालय, एक जंगलात महकमें का डाक बंगला इस कस्बेनुमा जगह की भव्यता में च... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 14
डांस ब्वाइज डांस छुट्टी के दिन कई बार मैं अपने साथी बिष्ट के कमरे में भी मिलने चला जाता था. वह मुझे अक्सर एक पुराना गढ़वाली गीत सुनाया करता था- ‘नौ रूपायाक मोत्या बल्द, दस रूपायाक सींग!’ एक... Read more
कुमाऊँ में अंग्रेज – 1815 से 1857 तक
ईस्ट इंडिया कंपनी का 1815 में उत्तराखण्ड आगमन उत्तराखण्ड में गोरखों के 25 साला सामन्ती सैनिक शाही के अन्त से जुड़ा था. इस दूरस्थ दुर्गम और बिखरी जनसंख्या वाले अपेक्षाकृत बंद समाज में नये शासन... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 33
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
कब तक मुझ से प्यार करोगे? कब तक? जब तक मेरे रहम से बच्चे की तख़्लीक़ का ख़ून बहेगा जब तक मेरा रंग है ताज़ा जब तक मेरा अंग तना है पर इस के आगे भी तो कुछ है वो सब क्या है किसे पता है वहीं की ए... Read more
रं सभ्यता के गाँव – रवि पतियाल के फोटो
फिलहाल भीमताल में रह रहे रवि पतियाल डायरेक्टरेट ऑफ़ कोल्ड वाटर फिशरीज़ में वैज्ञानिक हैं. धारचूला की चौंदास घाटी के पांगू गाँव के मूल निवासी रवि अपने क्षेत्र की जनता के विकास के लिए कार... Read more
रानीखेत के करगेत से कानपुर तक खिंची एक पुरानी डोर
तीस के दशक में कभी रानीखेत तहसील के एक छोटे से गाँव करगेत से निकले पाँच भाइयों ने जब जीवन में अपने लिए कुछ सपनों के साथ शहर का रूख किया तो कानपुर का यही घर उनका ठिकाना बना जिसे उन्होंने बड़ी... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 39
बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर में पुराने चर्च में विलियम बटलर का नाम आज भी अंकित है ईसाई नगर हेनरी रैमजे के समय में ब... Read more
वरिष्ठ कथाकार व कवि गम्भीर सिंह पालनी पिछले 12 नवम्बर 2018 को हल्द्वानी में डॉ. प्रशान्त निगम के पास अपने स्वास्थ्य की जॉच के लिए पहुँचे. कालाढूँगी रोड स्थित ओपी दा के ओपी मेडिकोज में उनसे म... Read more
बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त
मुझे और मेरे सहपाठी रतन सिंह को जिस दिन चकराता से त्यूनी जाना था उसके एक रात पहले चकराता और आस पास के पहाडी क्षेत्रों में ज़बरदस्त बर्फ़बारी हो गयी थी और जिसकी वजह से लोखण्डी से त्यूनी जाने... Read more