साधो हम बासी उस देस के – 4 -ब्रजभूषण पाण्डेय पिछली कड़ी : यह क्रांतिकारी दिन था मेला बीत चुका था. परेवा झमटहवा पीपर की ओर, किसान गेहूँ बुआई के लिए सिवान की और और हम मस्ती भरी अनियमित जीवन शैल... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 45
वर्तमान में हल्द्वानी नगर में बड़े अस्पतालों की संख्या गिनती से बाहर हो गई है. एक से एक काबिल डॉक्टर यहां अपने विशाल हाईटेक क्लीनिक खोल कर बैठ गए हैं. लोग कहते हैं कि जिन बीमारियों के इलाज के... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 10 (पिछली क़िस्त : हां मैंने चलाए साइकल के लचक मारते, पुराने टायर और भरपूर मजा लूटा) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रत... Read more
कुली बेगार आन्दोलन से पहले कुमाऊं परिषद
अमृतसर कांग्रेस के बाद के महीने अत्यन्त सक्रियता भरे थे. एक प्रकार से कुमाऊं परिषद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन का असाधारण कार्य किया. जगह जगह परिषद् की शा... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 43
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
रॉंग नंबर
रॉंग नंबर -आशीष ठाकुर एक दोपहर थी थकी-थकी, उदास, ठहरी हुई. खिड़कियाँ सूनी थी, आसमान अकेला. घर में सन्नाटा पसरा था. अब तो बेला के क़दमों की आवाज़ भी नहीं आती, पायल पहनना उसने कब का छोड़ दिया. घर... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 44
सन् 1970 तक शादी-ब्याह की रस्में भी यहां ठेठ ग्रामीण परिवेश में ही हुआ करती थीं. न्योतिये प्रातः पहुँच जाते और साग सब्जी काटना, हल्दी-मसाले घोटना, टेंट कनात लगाने में सहयोग करना, आदि में जुट... Read more
नई कहानी के नए प्रेरक : शैलेश मटियानी और ज्ञानरंजन
इतने बड़े हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : तेरहवीं क़िस्त 1966 में नैनीताल से इलाहाबाद के लिए रवाना हुआ तो मैं एक तरह से हवा में यात्रा कर रहा था. क्यों यात्रा कर रहा हूँ, यह तो मालूम था, मगर कह... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 42
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
पीलीभीत की बांसुरी – रोहित उमराव के फोटो
पीलीभीत की बांसुरी – रोहित उमराव बांस की बनी बांसुरी और उसकी मधुर-सुरीली तान आखिर किसे नहीं रिझाती? बांसुरी भारत वर्ष का ऐतिहासिक वाद्य यंत्र है. महाभारत काल में श्रीकृष्ण-बांसुरी-गोपि... Read more