पहाड़ों में आजकल हर रोज कहीं न कहीं सर्पों द्वारा काटने की खबर आ रही है, पर घबराइए मत हम आपके लिए कुछ रोचक जानकारी ला रहे हैं जो सर्पों के प्रति आपका ज्ञानवर्धन करेंगी. मुक्तेश्वर स्थित केंद... Read more
भीमताल का भीमेश्वर महादेव मंदिर
भीमताल डाट में बस स्टेशन से 200 मीटर आगे उत्तराखंड का प्राचीन शिव मंदिर है. इसे भीमेश्वर मंदिर कहा जाता है. भीमेश्वर मंदिर के विषय में मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा कराया... Read more
1920 के दशक में पिथौरागढ़ की बाजार में केवल तीस-बत्तीस दुमंजिले मकान हुआ करते थे. इन घरों के निचली मंजिल पर छोटी-छोटी दुकानें हुआ करती थी. सिमलागैर से नीचे आज जिसे हम पुराना बाजार या सुनार गल... Read more
आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन
आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन, मेरा मन, मेरा मन बिना ही बात मुस्कुराए रे मेरा मन मेरा मन मेरा मन ओ री कली, सजा तू डोली ओ री लहर, पहना तू पायल ओ री नदी, दिखा तू दर्पण ओ री किरण ओढ़ा तू आँचल इक... Read more
डीडीहाट के सौगांव की कहानी
हर गांव के बसने की एक कहानी होती है. उत्तराखंड में भी बहुत से ऐसे गांव हैं जो पिछले दस-एक दशकों पूर्व ही बसे हैं. पिथौरागढ़ जिले में डीडीहाट क्षेत्र में एक गांव है सौगांव. सेलकुड़ीधार से तड़केश... Read more
हल्द्वानी में सेब के पेड़ पर फल लगना विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय हो सकता है
सेब ने अब हल्द्वानी जैसे भाबरी क्षेत्र में भी अपनी दस्तक दे दी है. हल्द्वानी में अधिकतम तापमान गर्मियों में लगभग 40 डिग्री तक पहुँच जाता है. इतने गर्म तापमान वाली जगह पर सेब के पेड़ पर फल लग... Read more
जाने कहाँ से आ टपका ये काला धन
कुबेर आजकल बड़ी चिंता में हैं. उनका एक पुत्र कुपुत्र हो गया है. लोग बड़ी मोटी-मोटी गालियाँ देने लगे हैं उसे और `लॉ ऑफ इम्पार्टिंग कल्चर टू योर ऑफस्प्रिंग्स’ की मानक भारतीय परम्परा के अनुसार... Read more
दरियागंज का ऐतिहासिक किताब बाजार बंद
दिल्ली में किताबों के क़रीब जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा होता था दरियागंज के फुटपाथ में रविवार को लगने वाला पुस्तक बाज़ार. थोड़ी सी मसक्कत और छानबीन के बाद आपको वो किताब नजर आ ही जाती थी जिसकी... Read more
असल कुमाऊनी भाषा का जायका
मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ में नायिका बेबी कई बार अपने प्रेमी नायक डी डी उर्फ़ देबिया टैक्सी को “लाटा” कहकर बुलाती है. लाटा का शाब्दिक अर्थ हुआ गूंगा. लेकिन यहाँ बेबी द्वारा कहा गया “... Read more
श्रीनगर से लगभग 14 किमी दूर कलियासौड़ में सिद्धपीठ मां धारी देवी का मंदिर है. धारी देवी का मंदिर मां काली को समर्पित है. इस मंदिर की मुख्य विशेषता मां काली की शांत मुद्रा वाली मूर्ति है. लोक... Read more