अपने दादा, पिता और चाचा की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए बागेश्वर के आसोन मल्लाकोट निवासी सोनाली मनकोटी भारतीय तटरक्षक सेवा में असिस्टेंट कमांडेंट नियुक्त हुई हैं. सोनाली मनकोटी उत्तराखण्ड के कु... Read more
गढ़वाली-कुमाऊनी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद में पेश बिल की कुमाऊनी रपट
कुमाउनी और गढ़वालि कैं संविधानैक अठूँ अनुसूची में लोनैंक मांग भौत पुराणि छू. भाषा सम्मेलन, गोष्ठियों आदि में समय-समय पर य मांग उठते रूँ. पर य भाषान कैं अठूँ अनुसूची अन्तर्गत लौंने लिजि राजनी... Read more
स्मैक के जहर में डूबता उत्तराखण्ड का भविष्य
उत्तराखण्ड में शराब का नशा जहॉ सरकार लोगों को स्वयं उपलब्ध करवा रही है. वहीं दूसरी ओर स्मैक की तरह का नशा भी बहुत ही तेजी के साथ राज्य की किशोर व युवा पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. इस... Read more
आज से उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरु हो रहा है. यह सत्र गैरसैंण के बजाय देहरादून में किया जा रहा है. इसके पीछे मुख्यमंत्री द्वारा गैरसैंण की ठंड को बतौर कारण पेश किया जा रहा है. Ut... Read more
पहाड़ की प्रमुख मंडी हल्द्वानी के आबाद होने की कहानी बहुत रोचक है. इसका वर्तमान चाहे कितना ही स्वार्थी हो गया हो इसका भूतकाल बहुत ईमानदार और विश्वास पर आधारित था. मूल रूप से रानीखेत के रहने... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 34 पिछली क़िस्त का लिंक: सच्चा और अच्छा जीवनसाथी मिलना एक लाटरी निकलने जैसा है मेरी बेटी!मैंने तुम्हें बताया नहीं, डॉक्टर ने मेरी डिलीवरी, यानी तुम... Read more
बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ कर रही है उत्तराखंड सरकार
उत्तराखंड में वर्ष 2019 को रोजगार वर्ष के रूप में मनाने की राज्य सरकार ने घोषणा की है. ‘रोजगार वर्ष’ – नाम से तो ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखंड में साल भर नौकरियों की बरसा... Read more
सिसूण का सूप बेहद स्वादिष्ट व पौष्टिक है
सिसूण का साग और कापा उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी बनाया और खाया जाता है. हालांकि बीते दिनों के उत्तराखंडी भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा सिसूण भोजनथाल से गायब सा हो गया था. लेकिन... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 58 (पिछली क़िस्त: मनोज भट उर्फ गब्बू से पढ़े गणित के ट्यूशन के नहीं दिए गए पैसों का किस्सा बारहवीं की परीक्षाओं के बाद ऐसी स्थिति बनी कि कुछ महीने एकदम खाली थे. तय हुआ क... Read more
चंद राजाओं के शासनकाल में 36 तरह के राजकर वसूले जाते थे, जिन्हें छत्तीसी कहा जाता था. थातवान परगनाधिकारी— सीरदार या सिकदार के मार्फत कर को राजकोष में जमा करते थे. उपज का छठा भाग ही कर में लि... Read more