जिंदगी बनेगी बेहतर, चौकन्नी नजर तो पैदा कर
जीवन रस्सी पर चलने वाले नट जैसा संतुलन मांगता है. हर नए क्षण में संतुलन. क्योंकि इस क्षण अगर इस ओर गिरते थे, तो अगले ही क्षण हम उस ओर गिरने को होते हैं. जीवन में हर क्षण चीजें बदलती हैं. नई... Read more
उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा, पहाड़ की संस्कृति को संरक्षित रखने में हमेशा अग्रणी रही है. इस क्रम में पिछले पांच वर्षों से बृजेन्द्र लाल साह थियेटर सोसायटी बेहद शानदार काम कर रही ह... Read more
पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
पहाड़ की होली और होल्यारों की यादो का रंगीन पिटारा जहां भी खुले शमा रंगमस्त हो जाता है. कभी वक्त था जब लोग होली में गांव घरों को जाने का मन बहुत पहले बना लेते थे. नौकरी के लिये प्रवास में रह... Read more
जब उत्तराखंड के जंगलों में भटके दयानन्द सरस्वती
स्वामी दयानन्द जी 11 अप्रैल सन् 1855 को 30 वर्ष की उम्र में कुम्भ मेले की धूम सुनकर उत्तराखण्ड के वन पर्वतों की ओर प्रस्थान करते हुए हरिद्वार पहुंचे थे. हरिद्वार में स्वामी जी ने अपना निवास... Read more
फागुन के आखिरी दिनों में रफल्ला, गाँव के नजदीक के गधेरे में अपना घाघरा धो रही है. बसंत इन दिनों से एक हाथ आगे होता है. इन एकदम उदास मटमैले दिनों में लगभग सभी चीजें खुद-ब-खुद कहीं डूब गयी सी... Read more
कठिन पद यात्रायें प्रकृति के करीब ले जाती हैं
ऊपर ज्योरागली में धूप निखर आई थी. कुछेक साथी वहां पहुंच भी गए थे तो ठंड में जमी रूपकुंड झील के किनारे से मैंने भी ज्योरागली में धूप सेंकने का मन बनाते हुए कदम बढ़ा लिए. बेहद तीखी हवा जैसे इम... Read more
अमरीका के सबसे ज़्यादा बिकने वाले समकालीन लेखकों में से एक क्रिस्टोफ़र पॉलीनि अब सैंतीस साल के हैं. जब उनकी पहली किताब प्रकाशित हुई थी तो उनकी उम्र महज़ सत्रह साल की थी. उन्नीस साल का होने स... Read more
सन 1871 की यात्रा (हरिद्वार) के बाद भारतेन्दु ने हरिद्वार के एक पण्डे को पत्र में लिखा था-(Haridwar Travelogue by Bhartendu Harishchandra) सम्वत बसु युग ग्रहससो, पूनो रात असाढ़।रविवासर हरिद्... Read more
तीर्थयात्रियों को बद्रीनाथ ले जाने वाला एक हेलीकॉप्टर जिसे सफेद चीटियां चट कर गयी
1934 का साल था. इंग्लैण्ड से एक हेलीकॉप्टर भारत लाया गया. हिमालया एयर ट्रांसपोर्ट एंड सर्वे को. लिमिटेड नाम की एक कम्पनी द्वारा खरीदे गये इस हैलीकॉप्टर का नाम था G-ABSJ. यह हेलीकॉप्टर भारत म... Read more
दिल्ली से गांव लौटने की एक पुरानी याद
पहाड़ जाना उन दिनों सबसे प्रिय दिनों में होता था. कब स्कूली छुट्टियां मिले कब गांव जायें, यह बहुत बड़ा मन में प्रश्न होता था. गांव जाना सब कुछ था उस वक़्त मेरे लिए और सबसे खुशियों का पल भी.... Read more