उत्तराखंड के अतीत, वर्तमान से जुड़ी गौरव गाथाएं उत्तराखण्ड की नई पीढ़ी तक पहुंचाना बहुत जरुरी है. उन्हें उनके पूर्वजों द्वारा मातृभूमि की खातिर दी गयी बेमिसाल कुर्बानियों से परिचित कराना अत्... Read more
हेमंत ऋतु में पहाड़
चातुर्मास से आरम्भ खेती के काम रवि की फसल बो लेने के बाद ढीले पड़ जाने वाले हुए. चातुर मास खत्म होने पर ‘मेफाड़ा’ त्यार मनता जो यह संकेत देता कि अनाज की खेती बाड़ी के काम बहुत क... Read more
उत्तराखण्ड की लुप्त होती पारंपरिक लोककलाओं के दौर में ही ऐपण के अच्छे दिन चल रहे हैं. कुमाऊं की चित्रकला ऐपण के गांवों से शहरों, कस्बों और महानगरों तक पैर पसारने का सिलसिला चल निकला है. हेमल... Read more
काली के बगड़ में ब्रूस ली की याद
केनिथ मेसॉन की किताब द अबोड ओफ़ स्नो में कुमायूँ के सबसे बड़े अन्वेषकों में से एक हरी राम के बारे में विस्तार से पढ़कर मेरा मन दशकों पीछे चला गया. बहुत कम लोगों को जानकारी है कि पंडित हरी रा... Read more
प्रताप भैया यदि हमारे बीच होते तो 88 वर्ष आज के दिन पूरे करते. दस वर्ष पूर्व संसार से विदा हुए प्रताप भैया ने 78 बसन्त जिस जिन्दादिली, उत्साह एवं ऊर्जावान ढंग से बिताये, वह हर युवा के लिए ईष... Read more
डोटी की राजकुमारी रुद्रचंद की मां ने तोहफे में अपने भाई से सीरा मांगा, लेकिन भाई ने उसे देने से इनकार कर दिया. रुद्रचंद के पिता की मृत्यु हो जाने पर भी उसकी मां सती नहीं हुई. उसने कहा ‘जब मे... Read more
20 मई 1900 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान में जन्मे सुमित्रानंदन पन्त (Sumitra Nandan Pant) हिन्दी कविता में छायावाद के मजबूत स्तम्भ माने जाते हैं. उनकी प्रमुख कृतियों म... Read more
सिद्धों व सन्तों की तपोभूमि भी रहा भवाली क्षेत्र
भवाली, कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार होने के कारण देश के दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले परिब्राजक बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि क्षेत्रों के तीर्थाटन को जब यहां से गुजरे तो इसके आस-पास का नयनाभि... Read more
नए साल में रोज सुबह खुद से करें ये दस बातें
हम जैसा अपने मन में सोचते हैं, भरोसा करते हैं, वैसा ही हमारे जीवन में घटित हो जाता है. यह कोई जादू नहीं, बल्कि इस सृष्टि का विज्ञान है. इसीलिए अगर कोई व्यक्ति रोज सुबह खुद से, जीवन को हर नजर... Read more