अल्मोड़ा के ‘फूलों वाले पेड़’ की याद में
उसे फूलों वाला पेड़ कहा जाता था. पेड़ देवदार का था और उस पर लदे रहने वाले फूल बोगनवेलिया के. खिलने के मौसम में उसकी लकदक शब्दों के बयान से परे की चीज हुआ करती. (Almora Mall Road Bougain... Read more
हरेला पर लिखो और उपहार पाओ
दुनिया भर में आज तक किसी भी देश की मुख्य नीति में पर्यावरण कोई मुद्दा नहीं है वहीं उत्तराखंड का समाज साल में तीन बार पर्यावरण से जुड़ा हरेला लोकपर्व मनाता है. उत्तराखंड के समाज में मनाये जान... Read more
अलविदा दिलीप कुमार
हमारे बचपने में अमिताच्चन ने अपनी एंग्री यंग मैन वाली गर्वीली गर्माहट से खासा बवाल काट रक्खा था. उसकी भारी आवाज़, एक हाथ को कमर पर टिका दूसरा टेढ़हुंस करके हांय–बांय बोलना यहां तक कि उसकी हर... Read more
नैनीताल में दिलीप कुमार
फिल्म निर्माता बिमल रॉय की बेटी रिंकी रॉय भट्टाचार्य जब 1958 में अपने पिता द्वारा निर्मित ब्लॉकबस्टर फिल्म मधुमती के निर्माण पर पुस्तक, ‘बिमल रॉय’स मधुमती : अनटोल्ड स्टोरीज फ्रॉम बिहाइंड द स... Read more
गैरसैण के पास स्थित बेनीताल बुग्याल पर निजी संपत्ति का बोर्ड देखकर राज्य भर के लोगों के मन में प्रश्न उठने लगे हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि पूरा का पूरा घास का मै... Read more
प्रिय पुष्कर सिंह धामी,सबसे पहले तो आपको सूबे का नया मुख्यमंत्री बनने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं. इतनी कम उम्र में जो आपने उपलब्धि हासिल की वह हर किसी के बूते की बात नहीं. आप अपनी पार्टी में... Read more
पहाड़ में मौसम की जानकारी के लोक विश्वास
पहाड़ में मौसम के बारे में जानकारी किसम-किसम के लोक विश्वास के हिसाब से लगायी जाती. सूरज की गति के उत्तरायण होने दक्षिणायन होने, साल भर में नियत पैटोँ में मनाई गई संक्रांति के साथ धूप कब तेज... Read more
अभी चंद दिनों पहले कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम प्रोफेसर एन.एस. बिष्ट जी सेवानिवृत हो गये और बहुत से लोगों को इस बात का पता ही नहीं चला. उन्हें देखकर लगता ही नहीं था कि वह सेवानिवृति के... Read more
जोखिम उठाओ, क्योंकि सुरक्षा एक धोखा है
अगर तुम इस जिंदगी को भरपूर जीना चाहते हो, तो जब भी तुम्हारे सामने दो में से किसी एक राह को चुनने का मौका आए, तो हमेशा ज्यादा जोखिम भरे रास्ते को चुनना. क्योंकि वही तुम्हें उस ऊंचाई तक लेकर ज... Read more
एक दर्द भरी दास्ताँ
चलिये आज आपको साल 2016 में ले चलता हूँ. जुलाई का महीना लग चुका था और दिन का खाना खाने के बाद मैं गहरी नींद में सोया हुआ था. तक़रीबन शाम के 4 बज रहे होंगे जब मेरी नींद एक फोन की रिंग ने ख़राब... Read more