पहाड़ को हृदय में संजोकर रखने वाले प्रो. डी.डी. पन्त के बचपन से जुड़ी कुछ तस्वीरें
साल 1919 में 14 अगस्त के दिन पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ गांव देवराड़ी में रहने वाले वैद्य अम्बादत्त पन्त को पुत्र हुआ. वैद्यजी ने बेटे को नाम दिया देवी दत्त. देवी दत्त की शुरूआती शिक्षा गांव म... Read more
23 अक्टूबर 1924 को जन्मे, स्कूली शिक्षा के बाद आगरा विश्वविद्यालय एवं काशी विश्वविद्यालय, बनारस से उच्च शिक्षा प्राप्त कर पंजाब विश्वविद्यालय (चण्डीगढ़) में संस्कृत विभागाध्यक्ष क... Read more
भाव राग ताल नाट्य अकादमी, पिथौरागढ़ द्वारा अपने यू ट्यूब चैनल से उत्तराखण्ड के लोक वाद्य कारीगरों के जीवन पर बनायीं गयी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘लोक थात के प्रहरी’ को रिलीज किया गया है. भाव राग... Read more
उसके लिये मित्रों से बड़ा कोई वीआईपी नहीं होता था – स्मृति शेष दिनेश कण्डवाल
[तीन दिन पहले घुमंतू फोटोग्राफर, लेखक और वैज्ञानिक दिनेश कण्डवाल का आकस्मिक निधन हो गया था. उनकी स्मृतियों पर उनके मित्र व वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का यह आलेख हमें हमारे मित्र चंद्रशेखर त... Read more
वर्षों से सड़क की आस लगाये हुये गंगोलीहाट के टुंडाचौड़ा गांव वासियों को इस बार गांव की युवाशक्ति ने एक नई उर्जा प्रदान की है. जिस सड़क के लिये टुंडाचौड़ा गांव के लोग न जाने कितने सालों से शास... Read more
अपने खून से महात्मा गांधी को ख़त लिखकर डांडी मार्च में शामिल होने वाले उत्तराखंडी खड्ग बहादुर
डांडी-सत्याग्रह के दिन. देहरादून से गाँधी जी को एक खत मिला. पत्र मामूली स्याही से नहीं, भेजने वाले ने अपने खून से लिखा था. अहिंसा में विश्वास न होने पर भी वह रण बाँकुरा सत्याग्रह में सक्रिय... Read more
भारतीय संस्कृति में नदियों को सर्वोच्च सत्ता के रुप में आसीन करने और उसे देवत्व स्वरुप प्रदान करने की अलौकिक परिकल्पना रही है. लोक में यह मान्यता प्रबल रुप से व्याप्त है कि नदियों का स्वभाव... Read more
अल्मोड़े के आनसिंह जिन्होंने संस्कृत में कर्मकाण्ड की शुद्ध पुस्तकें छपवाकर उत्तराखंड के दुर्गम स्थानों तक पहुंचाई
‘आज इना तक सरकूँगा, कल भिन्हार तक, परसों सिलोर महादेव. अगले दिन भवड़ा, फिर रानीखेत. आठवें दिन अल्मोड़ा पहुँच पाऊँगा.’ कच्छप-गति से सरकने वाले उस विचित्र व्यक्ति ने बताया, आज से ल... Read more
रणनीति के अनुसार, हमारा बिग्रेड उत्तरी पहाड़ियों पर हमला करके, जहाँ इटली की सेना थी, पीछे से जाकर मौनेस्ट्री हिल की तोपों को शान्त करेगा और जर्मन सेना को रोम दिशा की मुख्य सेना से मिलाप न कर... Read more
आजकल आत्मनिर्भरता का शोर बहुत है लेकिन जब तक आमा थी यह शोर नहीं था. इसके बावजूद न सिर्फ आमा बल्कि पूरा परिवार ही आत्मनिर्भर था. घर में मवेशी इतने थे कि दूध, दही, घी से लेकर मक्खन और छाछ तक स... Read more