हमारी नियमित लेखिका गीता गैरोला ने आपको अनेक मनभावन कहानियां सुनाई हैं. हाल ही में हमने उनकी मशहूर किताब ‘मल्यो की डार’ के एक अध्याय को हरिद्वार में रहने वाली स्मिता कर्नाटक की आवाज़ में सुन... Read more
सन् 1970 से पहले यहाँ बहुत से घरों में बिजली भी नहीं थी. 1956 में नैनीताल रोड पर डीजल पावर हाउस नामक भवन में डीजल से बिजली बनाने का संयंत्र लगाया गया था. सेंटपाल्स स्कूल के ठीक सामने खण्डहर... Read more
कोई भी संस्कृति अपनी भाषा बोली को संरक्षित किये बगैर लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकती. यह बात छोटी आबादी वाली जनजातियों के सन्दर्भ में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. अपनी भाषा बोली के प्रत... Read more
बार बार तारीख को बदला है छात्रों ने
फरवरी का पहला दिन था. साल उन्नीस सौ साठ. सत्रह से उन्नीस बरस के चार लड़के अमरीका के उत्तरी कैरोलिना के ग्रीन्सबोरो शहर के एक रेस्टोरेंट ‘वूल्सवर्थ लंच काउन्टर’ में आए और खाना माँ... Read more
जरा ठन्डू चलदी, जरा मठ्ठु चलदी, मेरी चदरी छुट्टी ग्ये पिछनै उत्तराखण्ड के लोगों के लिए चन्द्र सिंह राही का अर्थ है एक ऐसी आवाज जिसमें पहाड़ तैरते थे. उनके गले से लहरें उठती थी और उत्तराखण्ड... Read more
चूड़धार: जहां भगवान शिव ने किया था तांडव नृत्य
चूड़धार में भोलेनाथ अपने परिवार संग रहते हैं. हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर स्थित चूड़धार घाटी के बारे में वैसे तो आप गूगल सर्च करेंगे तो एक क्लिक पर भौगोलिक जानकारी आपके सामने होगी. (Churdha... Read more
गोविन्द बल्लभ पंत कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को स्थापित किए जाने के पीछे क्षेत्र में जिस व्यवहारिक व मूलभूत क्रांति का उद्देश्य निहित था, विपरीत उसके क्षेत्र अधकचरी औद्योगिक क्रान्ति की... Read more
पहाड़ी दाल और उसके दगड़िया
उत्तराखंड में होने वाली दालों में खरीफ में भट्ट, मास या उड़द, राजमा या फ्रासबीन,गहत, गरूँस, रेंस, मटर व बाकुला मुख्य हैं. इनमें बाकुले की सब्जी पेट के लिए अच्छी मानी जाती, इसके गूदे सुखा के... Read more
तराई भाबर में जमीनों की लूट का इतिहास
तराई भाबर में भूमि व्यवस्था भी एक विवादास्पद विषय बनी रही है. यहाँ की जमीनों की लूट का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहाँ के बीहड़ इलाके को बसाने के लिए ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एक खाम अधिक... Read more
रोटी में पधान रहा गेहूं और मडुए को गरीब का पेट भर सकने की हैसियत मिली. रोज मड़ुआ खा बिछेंन हो गई तो बोल भी फूट पडे, ‘मड़ुआ रोट में नी खानी, ग्युंक पिसु ओल.’ इनके आपसी मेल से लेसु... Read more