बड़ी मेहनत से बनती है पहाड़ की कुड़ी
पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी, लकड़ी का प्रयोग होता रहा. हवा और धूप के लिए दिशा ज्ञान या वास्तु का प्रयोग किया जाता रहा. मिट्टी की परख कर स्थान... Read more
यस्य गृहे चहा नास्ति, बिन चहा चहचहायते
नैनीताल में मेरे क्लासफैलो थे कामरेड दीनबंधु पन्त. विचारधारा से वामपंथी इन जनाब की खासियत यह थी कि वे पारिवारिक पेशे से पुरोहित थे. जाहिर है संस्कृत पर उनकी गहरी पैठ थी. कबाड़ के निर्माण में... Read more
विकास के साये में हमारी लोक थाती
विकास के साथ उपज रहे विनाश के खतरों से आगाह करते हुए यह चेतावनी बार बार दी जाती रही है कि स्थानीय संस्कृति लगातार अवमूल्यित हो रही, बरबाद हो चुकी है. इन्हें बनाये बचाये रखने के प्रयास... Read more
जल्द ही लुप्त हो जायेंगे परंपरागत पहाड़ी लुहार
उसके चेहरे पर आग की दहक से उभरने वाली चमक बिछी थी… आंखें भट्ठी की आग पर टिकी हुईं. बीच-बीच में लहकते कोयले से भभकती चिंगारियां भट्ठी से बाहर की ओर लपक पड़तीं और वह सरिये के अगले सिरे प... Read more
उचाणा को मेरो मैर, कनो पड़े गंगाळ! बग्द-बग्द मैर गए देवप्रयाग बेड़, हेरी हेरी दिदा ऐग्यूं रीति घर! हे शोभनू धुनार, मेरा मैर छलैइ दे! निरभागी मैर यो गंगाळ पड़ीगे। नौ मण साट्यों कू उधार... Read more
एक अजूबा है हल्द्वानी की बड़ी मंडी
बरेली व रामपुर रोड के बीच में स्थित है हल्द्वानी की बड़ी मंडी. जिसका नाम लेते ही आमतौर पर थोक की बड़ी सब्जी मंडी की तस्वीर ही ऑखों के सामने तैरती है. पहले यह मंडी हल्द्वानी बाजार में ही स्थि... Read more
आइबिस्बिल पक्षी का रामनगर प्रवास
सर्दियाँ शुरू होते ही कॉर्बेट पार्क, रामनगर व इसके आसपास प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों के अलावा तिब्बत से भी कई पक्षी रामनगर के आसपास जुटना शुरू हो जाते हैं... Read more
पहाड़ की चोटी पर बसे अपने गांव में शीत ऋतु से सामना बचपन में ही हो चुका था. सर्दियां शुरू होतीं और सुबह-शाम ठंड से शरीर कंपकंपाने लगता, दांत किटकिटाने लगते. ठंडी सूखी हवा से होंठ फट जाते. सु... Read more
भवाली के लोग भूले नहीं हैं डॉ. आन सिंह को
पचास के दशक के अन्त में जब होश संभाली, तो घर में किसी सदस्य के गम्भीर बीमार पड़ने पर डॉ. आन सिंह जी को उपचार हेतु बुलाया जाता. घर की देहली पर उनका कदम रखते ही मरीज व परिजनों का आधा तना... Read more
गाँव की बर्फबारी में नंदादेवी बनाना
बर्फीली याद, गाँव की बड़े दिनों बाद, गाँव गया था. देखना था कि गाँव की मिट्टी की तासीर कुछ बदली है या वैसी ही है, जैसी छोड़ आया था, वर्षों पहले. आसमान की तो आँखें भीग आयीं, मुझे देखकर. और धरत... Read more