उत्तराखंड के एक गांव में लोगों ने मरीज को हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाने के लिये जुटाए 2 लाख रुपये
बीती शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री फेसबुक के माध्यम से सीधे जनता के जवाब देते दिखे. इस साल के उत्तराखंड बजट पर राज्य की जनता से सीधे संवाद में मुख्यमंत्री ने अपनी एयर एम्बुलेंस सेवा की जमकर त... Read more
मदन जी पूरी रात नहीं सोए. और करवट भी नहीं बदल पाए. एक तरफ़ कनक भूधराकार सरीरा उनकी पत्नी सो रही थीं. जो समर भयंकर अति बलबीरा भी थीं. जिनके खर्राटे उनके हृदय में रणभेरी जैसी धमक पैदा कर रहे थ... Read more
सुबह जागे तो मौसम ठंडा और खुशनुमा था. चाय पीने के बाद कुछ देर आंगन में धूप के इंतजार में चहल-कदमी करते रहे. धीरे-धीरे धूप ने पूरे गांव में अपनी चादर फैला दी तो महेशदा ने एक थाली पकड़ उसे हुड... Read more
आप खुद कर सकते हैं मोटे तौर पर कुण्डली मिलान
शादी ब्याह के लिए रिश्ते की शुरूआत वर एवं कन्या के कुण्डली मिलान से होता है. कुण्डली मिलान के लिए स्वयं इसके ज्ञान के अभाव में प्रायः ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले किसी पुरोहित की शरण में जाना... Read more
अल्मोड़ा से बीबीसी रेडियो की भीनी-भीनी यादें
शम्भू राणा का यह लेख नैनीताल समाचार में वर्ष 2011 में तब छपा था जब हिंदी समेत कई भाषाओं में बीबीसी रेडियो के बंद होने की खबरें आई थी. शंभू राणा का यह लेख नैनीताल समाचार से साभार लिया गया है... Read more
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा से मुम्बई पहुंचकर टेलीविजन की दुनिया में अपना ख़ास मुकाम बनाने वाली रूप दुर्गापाल इन दिनों अपने नए धारावाहिक ‘लाल इश्क’ को लेकर चर्चा में हैं. (Actress Roop Durgapal i... Read more
अप्रतिम छियालेख 3350 मीटर की ऊंचाई पर हैं. चारों ओर बुग्याली फूल जैसे खुश होकर झूम रहे थे. मन तो हो रहा था की यहीं अपने तंबू तान लिए जाएं, लेकिन आगे गर्ब्यांग में हीरा को आज पहुंचने का सन्दे... Read more
हरेला सोसायटी नाम से काफल ट्री के पाठक परिचित हैं. पिछले पांच छः सालों में पिथौरागढ़ जिले को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने वाली हरेला सोसायटी तीन-एक वर्षों से जिले में होली के दौरान नेच... Read more
बीबीसी की तिलिस्मी आवाज़ वाली रेडियो सेवा का अंत
जरा अतीत की बिसरी गलियों में जाइए और भारत का वह दौर याद करने की कोशिश कीजिए, जब घर-घर में टीवी की स्क्रीन नहीं आए थे. लोग देश-दुनिया की ख़बरें सुनने के लिए रेडियो का सहारा लिया करते थे और बी... Read more
हिट तुमड़ि बाटे-बाट, मैं कि जानूं बुढ़िया काथ : कुमाऊं की एक लोकप्रिय लोककथा
किसी गांव में एक बुढ़िया थी. बूढी और निर्बल बुढ़िया एक अकेले घर में रहती थी. एक साल जाड़ों के दिनों बुढ़िया को लगा कि शायद वह इस साल मर जायेगी. मृत्यु के भय से उसने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी के... Read more