चटनी संगीत का उद्भव दक्षिणी कैरिबियाई इलाक़े में हुआ था – सबसे पहले त्रिनिडाड एन्ड टोबैगो में १९वीं सदी में नौकरों और गुलामों के तौर बसाए गए भारतीय मजदूरों की सन्ततियों ने इसे विकसिन किया. पारम्परिक भोजपुरी लोकगितों और लोकप्रिय भारतीय फ़िल्मी गीतों से अपने लिए आवश्यक तत्व जुटाने वाले इस संगीत की शुरुआत का श्रेय सुन्दर पोपो को जाता है जिन्हें द किंग ऑफ़ चटनी के नाम से ख्याति प्राप्त है.
आधुनिक चटनी संगीतकारों की रचनाओं की लिरिक्स हिन्दी, भोजपुरी और अंग्रेज़ी में होती हैं जिन्हें ढोलक की भारतीय और कैरिबियाई सोका यानी सोल कैलिप्सो संगीत की तेज़ लयों पर सैट किया जाता है.
.
पहले चटनी संगीत ज़्यादातर महिलाएं गाया करती थीं और ये गीत धार्मिक विषयवस्तु पर आधारित हुआ करते थे. इधर के वर्षों में कई पुरुष गायकों ने इस विधा को अपनाया है.
आज के लोकप्रिय चटनी गायकों में रिक्की जय, रिचर्ड अली, राकेश यनकरण, देवानन्द गट्टू, निशा बेन्जामिन, हीरालाल रामपरताप और निस्संदेह सैम बूडराम हैं.
देखिये और सुनिए चटनी संगीत के कुछ नमूने –
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें