शुक्रवार को अपने एक अहम फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा हरियाणा के मिर्चपुर के बहुचर्चित दलित हत्याकांड के आरोपियों को बरी किये जाने के निचली अदालत के फैसले को उलट दिया. अदालत ने निचली अदालत से बरी कर दिए गए 20 लोगों को दोषी ठहराया.
हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 13 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उनकी अपील भी ख़ारिज कर दी.
गौरतलब है कि अप्रैल 2010 में हरियाणा के हिसार के गाँव मिर्चपुर में जाटों की हिंसक भीड़ ने दलितों के घरों पर हमला कर दिया. इस भीड़ ने सुनियोजित हमले के तहत दलित समुदाय के कई घर फूंक डाले थे. आगजनी में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग और उनकी 17 वर्षीय विकलांग बेटी की जिंदा जलने से मौत हो गयी. घटनाक्रम का बाद 200 दलित परिवारों को जाटों के खौफ से पलायन कर दिल्ली के एक मंदिर का शरणार्थी बनना पड़ा. चार महीने बाद सुप्रीम कोर्ट के कड़े रूख के बाद ही हरियाणा पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया. दिसंबर 2010 में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय द्वारा मामले को हिसार से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था.
तमाम उठापटक के बाद निचली अदालत द्वारा 2011 में 15 लोगों को दोषी ठहराया गया और 82 अन्य को बरी कर दिया गया. इस फैसले के खिलाफ पीड़ितों, दोषियों एवं राज्य द्वारा ऊपरी अदालत में अपील दायर की हुई थी. 24 अगस्त को इन्हीं अपीलों पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया. ।
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