पेपर लीक होने की खबर सुनते ही राज्य के तमाम छात्रों में हड़कंप मच गया और ऐसा ही कुछ हड़कंप राज्य की राजधानी में शिक्षा मंत्री के दफ्तर व सचिवालय में भी देखा गया. सब एक दूसरे के कान में कुछ कानाफूसी करते नजर आ रहे थे. इतनी ही देर में शिक्षामंत्री का आदेश आया कि शिक्षा मंत्रालय के समस्त मंत्रीगण, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, उप सचिव, सहायक सचिव आदि आपातकालीन बैठक के लिए तुरंत सचिवालय में उपस्थित हों. सचिवालय के मीटिंग हॉल में गोलमेज सम्मेलन आरंभ हुआ. Satire on Paper Leaked in Exam
शिक्षामंत्री, खुद में कुछ बड़बड़ाते, भन्नाए हुए हॉल में दाखिल हुए. समस्त मंत्रीगण व सचिव उनके सम्मान में खड़े हुए. शिक्षामंत्री ने बड़ी ही संजीदगी से बोला आखिर ये हो क्या रहा है? पेपर लीक कैसे हो गया? किसको जिम्मेदारी दी गई थी इस पेपर की? पेपर छापने का ठेका किसे दिया गया था? मुख्य सचिव अपनी सफाई देने के लिए खड़े ही हुए थे कि मंत्री जी फिर बोल पड़े आप लोग छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ भी सही से नहीं निभा पाते. आखिर पेपर लीक प्रूफ क्यों नहीं बनाया गया? किस तरह की स्याही यूज की गई थी पेपर बनाने में जो लीक हो गया?
प्रमुख सचिव बोले- सर समस्या स्याही की नहीं है. समस्या कहीं और है. आप समझिये.
शिक्षामंत्री बोले- समझना मुझे नहीं बल्कि आप लोगों को है. पेपर की जिम्मेदारी आप लोगों को दी गई थी. मुझे सिर्फ यह बताइये कि आखिर पेपर लीक कैसे हुआ? आज के समय में जब कि पानी की टंकियाँ तक लीक प्रूफ आने लगी हैं आप लोग एक पेपर की लीकेज नहीं रोक पा रहे हैं? आखिर शिक्षा मंत्रालय में इतने पढ़े-लिखे लोगों के होने का मतलब क्या है फिर? पेपर छापने की जिम्मेदारी किस प्रेस को सौंपी गई थी उसके मालिक को तुरंत प्रभाव से बुलाया जाए.
मुख्य सचिव ने प्रेस के मालिक को तुरंत हाजिर होने के लिए कॉल किया. प्रेस मालिक के हॉल में प्रवेश करते ही शिक्षामंत्री उस पर बुरी तरह भड़क गए. जानते हो तुम्हारी एक वाहियात सी गलती की वजह से शिक्षा मंत्रालय की पूरे राज्य में थू-थू हो रही है. कितने समय से पेपर छाप रहे हो तुम?
सर पिछले 10 साल से- प्रेस मालिक ने जवाब दिया. पहले भी ऐसे ही तुम्हारे छपे पेपर लीक होते रहे हैं क्या? मंत्री जी ने सख़्ती से पूछा. नहीं सर बिल्कुल नहीं. लीकेज का यह पहला मामला है-प्रेस मालिक बोला. ओह! अब मुझे सारा खेल समझ आ रहा है. सिर्फ चंद रूपयों का मुनाफा कमाने के लिए तुमने हमारे लिए छपने वाले पेपर की क्वालिटी से समझौता किया. किस तरह की स्याही का इस्तेमाल किया था तुमने पेपर छापने के लिए जो पेपर लीक हो गया?
सर स्याही तो मैंने सबसे बेस्ट क्वालिटी की ही इस्तेमाल की थी-प्रेस मालिक बोला. झूठ मत बोलो- मंत्री जी चिल्लाए. अगर बेस्ट क्वालिटी की स्याही यूज की होती तो स्याही पेपर में टिकती नहीं? सिर्फ तुम्हारी घटिया स्याही की वजह से पेपर लीक हुआ और हमें इतनी फजीहत झेलनी पड़ रही है. जब तुम्हें पता था स्याही पेपर में नहीं टिकेगी और पेपर लीक हो सकता है तो तुमने ऐसी स्याही इस्तेमाल ही क्यों की? स्याही की गुणवत्ता बढ़ाने और पेपर पर उसकी पकड़ को मजबूत करने के लिए तुम स्याही में लीसा, गोंद या फेवीकोल का इस्तेमाल भी कर सकते थे लेकिन तुमने सिर्फ कुछ रूपये बचाने के लिए ऐसा नहीं किया. Satire on Paper Leaked in Exam
मंत्री जी की बातें सुनकर सारे सचिव एक दूसरे का मुँह ताकने लगे. अपनी कहीं बातों को पुख्ता करने के लिए मंत्री जी ने गेंद मुख्य सचिव के पाले में डाल दी और कहा कहिये खन्ना जी क्या में गलत बोल रहा हूँ? आखिर एक पेपर में स्याही के अलावा और क्या होता है जो लीक करे? खन्ना जी ने मंत्री जी से उलझने की जगह अपना सिर हिलाते हुए मंत्री जी की बात पर हामी भर दी. खन्ना जी के हामी भरते ही मंत्री जी ने प्रमुख सचिव को आदेश दिया कि तत्काल प्रभाव से प्रेस मालिक के साथ हुए पेपर छापने के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया जाए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य के बच्चों को आश्वस्त किया जाए कि अगली बार से ऐसी स्याही का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा जिससे कि पेपर लीक हो. मंत्री जी आगे बोले- मैं तो कहता हूँ ये कागज, स्याही, कलम से पेपर करवाने का पुराना फंडा ही छोड़िये और सारे पेपर कम्प्यूटर से ऑनलाइन करवाइये. कम्प्यूटर में कागज और स्याही वाला लफड़ा ही नहीं होता है. ना रहेगा बाँस और न बजेगी बॉंसुरी. इस तरह ये रोज-रोज पेपर लीक होने की ड्रामेबाजी से तो निजात मिलेगा.
आदेश देकर मंत्री जी अपनी अगली मीटिंग के लिए निकल गए. अब सारे सचिव एक दूसरे को देखकर कभी हँस रहे हैं और कभी गंभीर हुए जा रहे हैं. हँस इसलिए रहे हैं कि मीटिंग हॉल के गोलमेज सम्मेलन में जो आज हुआ वह इतिहास में पहली बार हुआ था और गंभीर इसलिए हुए जा रहे हैं कि प्रेस कांफ्रेंस कर के बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन? Satire on Paper Leaked in Exam
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नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं
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