बेदिनी बुग्याल में ही मौजूद है हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल बेदिनी कुंड, इसे वैतरणी भी कहा जाता है. इस कुंड का विशेष धार्मिक महत्त्व है.
11,004 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेदिनी कुंड के पास ही आली बुग्याल भी है. बेदिनी और आली बुग्याल मिलकर एशिया के बड़े घास के मैदानों में से एक का निर्माण करते हैं. बेदिनी कुंड इन्हीं मैदानों का हिस्सा है.
माँ नंदा के भाई लाटू देवता के मंदिर में पुजारी आंखों में पट्टी बांधकर करता है पूजा
इस पौराणिक महत्त्व के कुंड के पास ही मौजूद है महादेव, माँ नंदा (पार्वती) और उनके भाई लाटू देवता के मंदिर.
पर्याप्त संरक्षण के अभाव में कुछ सालों से इस कुंड का अस्तित्व खतरे में है और गर्मियों में यह पूरी तरह से सूख जाया करता है. इस कुंड में नंदा घुंटी और त्रिशूल पर्वत का अक्स देखते ही बनता है.
बेदिनी कुंड नंदा राजजात का अहम पड़ाव भी है और 12 साल में आयोजित होने वाली राजजात की पहली पूजा यहीं पर होती है. इसके अलावा यह हर वर्ष आयोजित होने वाली नंदा लोकजात यहीं तक आकर संपन्न होती है.
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नंदा राजजात के इसी पड़ाव तक महिलाओं की यात्रा में भागीदारी भी होती है. यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करते हैं और इष्ट देवों की पूजा अर्चना भी करते हैं.
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