नया साल और गहरे अवसाद का बीच हम लोग
हम लोग, जो आजादी के आस-पास पैदा हुए हैं, सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि हमारे समाज का किसी दिन इस तरह बटवारा हो जाएगा कि हम अपने ही दुश्मन हो जाएंगे. हमें किसी ने बताया नहीं, मगर हम जानते थ... Read more
साल नया है, चक्कर पुराना
लो, अपनी पृथ्वी ने एक और चक्कर पूरा कर लिया है. वैसे ये चक्कर साल के किसी भी दिन पूरा हो सकता है. पर गिनने की आदत पहली जनवरी से हो गयी है तो लगता है कि पिछली रात के ठीक 12 बजे ही ये चक्कर पू... Read more
नए साल पर दूरदर्शन के जमाने की मीठी यादें
नए साल की ईव पर (न्यू इयर्स ईव जैसे फ्रेज़ ने भी जीवन में उन प्रोग्रामों की वजह से ही घुसपैठ की, वर्ना हैप्पी न्यू ईयर जैसे तीन ऊर्जाहीन शब्दों की शरण में ही जाना पड़ता था) दूरदर्शन का सबसे... Read more
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