4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – तेइसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: कामी और लम्पट पुरुषों की निगाहें अस्तित्व तक को भेद देती हैं तुम्हें नहीं पता होगा शायद लेकिन तुमने अभी से (जबकि अभी तुम स... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – बाइसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: दुनिया में पोर्नोग्राफी पूरी तरह खत्म होनी चाहिए किताबों और फाइलों का हम लड़कियों/स्त्रियों की जिंदगी में सिर्फ पढ़ी... Read more
दुनिया में पोर्नोग्राफी पूरी तरह खत्म होनी चाहिए
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – इक्कीसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: मां और खुशबुओं के बेर मैं अभी कई सवालों से जूझ रही हूं मेरे बच्चे. जाहिर है इन भयानक दिमागी उलझनों से तुम भी... Read more
मां और खुशबुओं के बेर
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – बीसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: इस दुनिया में असंख्य लोग भूखे जी रहे हैं इस वक्त रात के सन्नाटे में मैं अकेली जगी हूं मेरी जान. नींद नहीं आ रही थी सो मैं प... Read more
इस दुनिया में असंख्य लोग भूखे जी रहे हैं
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – उन्नीसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: मातृत्व के महिमामंडन का जबर्दस्त दबाव प्रेग्नेंट महिलाओं पर रहता है मेरे बच्चे! तुम्हें दो महीने मेरे भीतर आए हुए, अपनी... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – अट्ठारहवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: भ्रूण संभवतः दुनिया की सबसे मजबूत और शक्तिशाली नींव है काफी दिनों बाद आज का दिन रहा जब मुझे उल्टी नहीं हुई. उल्टी की से... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – सत्रहवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: अच्छे दोस्त जिंदगी की सबसे बड़ी नेमत होते हैं तुम्हारी उपस्थिति मेरे भीतर दर्ज होने लगी है मेरी बच्ची! 18-19 दिसम्बर तक म... Read more
अच्छे दोस्त जिंदगी की सबसे बड़ी नेमत होते हैं
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – पंद्रहवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: लड़कियां चाहे बच्चे जनती मर जाएं, खानदान का झंडा लड़के ही उठाएंगे नया साल शुरू हो गया, साल 2009, तुम्हारे लिए ये नया सा... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – चौदहवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: बच्चा पैदा करने का अंतिम निर्णय सिर्फ और सिर्फ मां का होना चाहिए क्या मुझे तुमसे छिपाना चाहिए मेरे बच्चे, कि हम... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – तेरहवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: इंसान के बच्चे को मारकर खाने से कम क्रूर है पशु को मारकर खाना? पिछले कई दिनों से मैं परेशान और उलझन में थी, मुझे पीरियड्स... Read more
Popular Posts
- कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब
- कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा