फ्रेडी यंग के नेतृत्व में बनी ‘स्पेशल डकैती पुलिस फ़ोर्स’ सुल्ताना डाकू का काफी नुकसान पहुंचा चुकी थी. सुल्ताना डाकू का निश्चित अड्डा नस्तनाबूत करने के बाद जहाँ फ्रेडी और उसके दल के हौसले बुलंद थे वहीं लम्बे समय लगातार भागते रहने और अड्डे बदलते रहने से सुल्ताना के साथी ऊब चुके थे.
(Sultana Daku Arresting Day)
फ्रेडी यंग के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके थे कि उसने सुल्ताना डाकू को एक संदेश भिजवाया और मुलाक़ात का बख़त माँगा. फ्रेडी ने अपने ख़त में सुल्ताना को समय तारीख़ और स्थान ख़ुद ही तय करने की बात लिखी. सुल्ताना बहादुरों का सम्मान करता था उसने फ्रेडी का निमंत्रण स्वीकार किया.
सुल्ताना द्वारा मुक़्क़र्र किये गए दिन एक खुले तप्पड़, जिसके बीच में एक अकेला पेड़ उगा हुआ था, पर सुल्ताना और फ्रेडी की मुलाक़ात हुई. तप्पड़ के एक तरफ़ से छोटे कद और कम वजन वाला फुर्तीला सुल्ताना चला आ रहा था दूसरी ओर से करीब सवा टन किलो का फ्रेडी. सुल्ताना ने फ्रेडी को तोहफ़े में एक तरबूज दिया और कहा – वह बिना किसी डर के इस तरबूज़ को खा सकता है.
इस मुलाकात में फ्रेडी ने सुल्ताना को आत्म-समर्पण करने को कहा. सुल्ताना ने फ्रेडी की बात को ख़ारिज कर उसे सलाह देते हुए कहा कि उसे पकड़ने के लिए फ्रेडी को बहुत अधिक जोख़िम नहीं लेनी. अपनी बातों में सुल्ताना फ़्रेडी को बताता है कि एक हमले में कैसे ज़िम कार्बेट और फ्रेडी उनकी गोलियों का निशाना होने से बच गए.
(Sultana Daku Arresting Day)
फ्रेडी यंग जानता था कि इस वक़्त सुल्ताना का गिरोह कमजोर है वह उसे उबरने का कोई मौका नहीं देना चाहता था. सुल्ताना पर आख़िरी हमले के आदेश फ्रेडी यंग के पास थे. हमले के लिए पूर्णिमा कि के रात चुनी गयी. फ्रेडी यंग ने इस घटना को देखने और इसमें भाग लेने के लिए उस समय के कुमाऊं कमीश्नर विन्डहैम और जिम कार्बेट को आमंत्रित किया.
सुल्ताना की गिरफ्तारी के एक दिन पहले विन्डहैम और जिम कार्बेट इस दल से अलग हो चुके थे. कहते हैं कि एक सुबह जब सुल्ताना अपनी चारपाई में चादर ओढ़े लेटा था तो फ्रेडी उसके सीने पर जा बैठा. भारी-भरकम शरीर वाले फ्रेडी के नीचे दबे पतले सुल्ताना के पास गिरफ़्तार होने के सिवा कोई चारा न था.
(Sultana Daku Arresting Day)
जिम कॉर्बेट की किताब माइ इंडिया के अध्याय सुल्ताना : इंडियाज रॉबिनहुड के आधार पर
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…