सिनेमा

पहला गढ़वाली, कुमाऊनी ओटीटी प्लेटफार्म है : अम्बे सिने

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कुमाऊनी, गढ़वाली मनोरंजन उद्योग से जुड़ी चुनौतियों के ले कर एक  प्रेस वार्ता बीकानेर, हल्द्वानी में संपन्न हुई. वार्ता में नामचीन बुद्धिजीवी एवं पत्रकार चारू तिवारी, बी के ध्यानी, चंद्रकांत नेगी ने मीडिया को संबोधित किया. (Ambe Cine OTT Platform)

चारू तिवारी ने बताया कि, पहला गढ़वाली कुमांऊनी ओटीटी प्लेटफार्म है ‘अम्बे सिने.’ यहाँ आप उत्तराखंडी फ़िल्मों एवं गीत संगीत को ऐप के माध्यम से देश विदेश में घर बैठे देखने को उपलब्ध हैं. इसी कड़ी में अब कुमाऊनी फिल्म ‘माटी पछ्याण’ भी अब आपके लिए इस ऐप में उपलब्ध है.

फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले ‘माटी पछ्याण’ नाम से लोक भाषा कुमाऊनी में बनी इस फिल्म के निर्माता फराज शेरी एवं निर्देशक हैं अजय बेरी. फिल्म में पहाड़ों से हो रहे पलायन और महिला सशक्तिकरण की बात की गई है. कुमाऊं अंचल की इस मेगा बजट फिल्म में मुख्य कलाकार हैं— अंकिता परिहार, करन गोस्वामी. सहयोगी कलाकार आकाश नेगी, चंद्रा बिष्ट, वान्या जोशी, पदमेंदर रावत, प्रकाश जोशी, नरेश बिष्ट, जीवन सिंह रावत, आरव बिष्ट, विजय जम्मवाल, तरुण, शेखर आर्या, रेखा पाटनी, महेंद्र बिष्ट  इत्यादि हैं. फिल्म की पटकथा मनमोहन चौधरी ने लिखी हैं एवं फिल्म का संगीत राजन बजेली का है और संपादन किया है मुकेश झा ने.

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उत्तराखंड के प्रतिष्ठित फिल्म अवार्ड्स शो ‘उत्तराखंड सिने अवार्ड्स’ में वर्ष 23 के लिए फिल्म को सर्वश्रेष्ठ खलनायक, सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन एवं सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री कैटेगरियों में अवार्ड से नवाजा गया.

फिल्म की कहानी उत्तराखंड की सच्ची घटनाओं पर आधारित है. एक छोटे से गांव की पहचान, समुदाय, भाषा और प्रेम के जटिल मुद्दों को फिल्म मे फिल्माया गया है. शूटिंग उत्तराखंड के कोटाबाग, नैनीताल व भीमताल की खूबसूरत वादियों में हुई है. फिल्म कुमाऊनी बोली-भाषा के प्रभावशाली व ध्यान आकर्षित करने वाले ठोस संवादों से सजी है. फिल्म पहाड़ी अंचल से निरंतर हो रहे पलायन के दर्द व बाहरी लोगों की घुसपैठ से बढ़ रही अशांति को भी बयां करती है, उस पर चोट करती है.

फिल्म के माध्यम से बताया गया है, कोई भी व्यक्ति पहाडी़ अंचल से पलायन नहीं करना चाहता है. लेकिन अपने बच्चों के भावी भविष्य के लिए उसे कठिन निर्णय लेने को मजबूर होना पड़ता है. अंचल के रोजमर्रा के मुद्दों के साथ-साथ, बेटियों के हक़ की बात भी फिल्म में प्रभावी तरीके से उठायी गई है.

अम्बे सिने ओटीटी प्लेटफार्म ऐप का उद्देश्य उत्तराखंडी भाषाओं में निर्मित फ़िल्मों एवं गीत संगीत को उत्तराखंड एवं देश विदेश में रह रहे उत्तराखंडियों तक पहुँचाना है, ताकि हमारे उत्तराखंडी अपनी भाषा एवं संस्कृति से जुड़े रहे.

आज फिल्म जगत से जुड़े निर्माता फिल्म बनाने में अपना पैसा लगा तो लेते हैं लेकिन सीमित साधन होने के कारण फिल्मों को सिनेमा हॉल तक पहुँचाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके बावजूद बहुत कम दर्शकों तक ही फ़िल्में पहुँच पाती हैं, जिस कारण उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. इस आर्थिक नुकसान के कारण बहुत से निर्माता दुबारा फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.

कई गढ़वाली, कुमाऊनी फ़िल्में, गीत-संगीत, वेबसीरीज आदि घर बैठे देखने के लिए आप “अम्बे सिने” ऐप को अपने मोबाइल, पीसी पर गूगल प्ले से डाउनलोड कर सकते हैं. (Ambe Cine OTT Platform)

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