भारत में बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों को बिना किसी प्रौद्योगिकी के उपयोग के पुराने गोदामों में रख दिया जाता है. भारत 65 मिलियन टन खाद्यान्नों का भंडारण करता है, जिनमें से अधिकांश पारंपरिक खुले या ढके हुए गोदामों में रखे जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन का कहना है कि इसके कारण 14 अरब डॉलर की उपज सालाना खराब हो जाती है, जबकि 194 मिलियन भारतीय हर दिन भूखे रह जाते हैं.
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, खाद्य उत्पादन कभी भारत के लिये चिंता का विषय नहीं रहा है. भारत ने 2016-17 में 270 मिलियन टन से अधिक भोजन का उत्पादन किया, जो इसकी आबादी को खिलाने के लिये 230 मिलियन टन की वार्षिक आवश्यकता से अधिक है. इसप्रकार यह आँकड़े अनाज भंडारण के लिये नई तकनीक अपनाने पर बल देते हैं.
एक दशक पहले भारत में वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य अवधारणा साइलो स्टोरेज को प्रस्तुत किया गया जो अनाज भंडारण करने की एक वैज्ञानिक विधि का पालन करती है और लम्बी अवधि तक उपज की बड़ी मात्रा को संरक्षित रखने में सक्षम होती है.
साइलो स्टोरेज एक विशाल स्टील ढाँचा होता है जिसमें थोक सामग्री भंडारित की जा सकती है. इसमें कई विशाल बेलनाकार टैंक होते हैं. नमी और तापमान से अप्रभावित रहने के कारण इनमें अनाज लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है. साइलो के नवीनतम रूप में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है. इससे भंडारण और परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान में काफी कमी आती है.
अडानी कृषि लॉजिस्टिक्स लिमिटेड, साइलो स्टोरेज को सर्वप्रथम अपनाने वाली कंपनियों में से एक थी. अडानी के अलावा, एलटी फूड्स, नेशनल कोलैटरल मैनेजमेंट लिमिटेड, श्री कार्तिकेयन इंडस्ट्रीज और टोटल शिपिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन का निर्माण कर रहे हैं. भारत को अपनी खाद्यान्न सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने के लिये आधुनिक खाद्यान्न भंडारण अवसंरचना अपनाने की आवश्यकता है.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…