front page

सौर और पिरुल नीति की मदद से उत्तराखंड के लोगों को रोजगार

पहाड़ में पलायन रोकने और रोजगार बढ़ाने के उदेश्य से उत्तराखंड सरकार सौर ऊर्जा और पिरुल पर आधारित परियोजना लागू कर रही है. पहाड़ की भौगोलिक परिस्थिति और दूसरे कारणों का अध्ययन करने के बाद दो किलोवाट से एक मेगावाट तक के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का लाभ ग्रामीण उठा सकते हैं. घरों की छतों या खाली पड़ी जमीन पर प्रोजेक्ट मामूली लागत पर लगाए जा सकते हैं.

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों तथा ईंधन आधारित सह उत्पादकों से विद्युत आपूर्ति के लिए शुल्क, क्षमता और निबंधन नीति लागू कर दी है. नई नीति में पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार की ओर से 70 फीसद सब्सिडी का लाभ भी सभी प्रोजेक्ट में मिलेगा। शनिवार 8 सितम्बर से ही इसके लिए आवेदन किए जा सकते हैं.

इसी तरह सरकार ने पिरुल बायोमास गैसीफायर परियोजना को भी राज्य में शुरू कर दिया गया है. इसके लिए भी जारी नीति में शुल्क, ट्रैरिफ, निबंधन के मापदंड लागू कर दिए हैं. सरकार ग्रामीणों से डेढ़ से दो रुपये किलो में पिरुल खरीदेगी.

उत्तराखंड में करीब 6 हज़ार पिरुल संयंत्र स्थापित करने की योजना है, अगर एक संयत्र से 10 लोगों को भी रोजगार मिले ,तो कुल 60 हज़ार लोगों को इस निति के मदद से नया रोजगार मिल सकेगा. महिलाएं घर बैठे रोजगार प्राप्त कर सकेंगी, और आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगी और उनके लिए आर्थिक सशक्तीकरण और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी.

उत्तराखंड में 4 लाख हेक्टेयर वन भूमि है, जिसमें से 16.36 प्रतिशत में चीड़ के वन हैं. चीड़ की पत्तियां जब तक हरी रहती हैं, तब तक तो इन्हें पशुओं के बिछावन के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है, लेकिन बाद में इसका उपयोग नहीं हो पाता. उत्तराखंड में गर्मियों से पहले चीड़ की पत्तियां गिर जाती हैं, सूखने पर यही पत्तियां पिरूल कहलाती हैं. गर्मियों के दिनों में यही पिरूल वनाग्नि का कारण बन जाता है.

 

पिरुल नीति में चीड़ की पत्तियों व्यावसायिक उपयोग में लाकर इनसे विद्युत उत्पादन और बायोफ्यूल उत्पादन किया जाएगा। पिरूल से हर साल 150 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. ये संयंत्र स्वयंसेवी संस्थाओं, औद्योगिक संस्थानों, ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों, महिला मंगल दलों द्वारा संचालित किए जाएंगे. इस योजना में व्यक्ति हर दिन 300 से 400 किलोग्राम पिरुल (चीड़ की पत्तियां) जमा कर सकता है जिससे प्रतिमाह पांच हज़ार से छह हज़ार की आय हो सकती है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

2 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

4 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

5 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

19 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago