Default

यूट्यूब स्टार पवन की पहाड़ी बाखली में मिलता है परम्परा और आधुनिकता का मेल

चौकोड़ी से बागेश्वर जाने वाली सड़क में कोटमन्या से शुरु होता है एक अद्भुत संसार. घने, छायादार जंगलों के बीच होती हुई यह सड़क आपको पांखू की तरफ ले जाती है. दसियों खुबसूरत जलधारे इस सड़क को पार करते मिलते हैं. इसी रास्ते में पांखू से करीब-करीब एक किमी पहले सड़क के ठीक नीचे लगा एक गाँव है कफलेत. कफलेत, जहां उत्तराखंड के युवा यूट्यूब स्टार पवन पहाड़ी की पारंपरिक पहाड़ी बाखली आपका स्वागत करती है. इस कामयाब यूट्यूबर ने हाल ही में अपने इस पारंपरिक पहाड़ी घर पर ही होम स्टे का नया काम जमाना शुरू किया है.
(Pahadi Baakhli and Pawan Pahadi)

चौकोड़ी से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित पवन की यह पहाड़ी बाखली मुख्य सड़क से लगी है. यहां रहकर दिन की शुरुआत किसी ऊंचे झरने के किनारे बैठकर योग करते हुए की जा सकती है तो शाम किसी नदी किनारे मछली पकड़ते हुए ढलते सूरज के साथ. नयनाभिराम प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ही आस्थावानों के लिये आसपास कोटगाड़ी का मंदिर, मूल नारायण देवता का मंदिर, नौलिंग मंदिर, एजेन्डी बूबू मंदिर, वासुकीनाग मंदिर, कालक्षिण मंदिर, बजैन देवता मंदिर, अन्न्तेश्वर महादेव मंदिर जैसे ढेरों छोटे-बड़े मंदिर भी हैं.

खाने के शौकीनों को यहां जैविक अनाज व दाल-सब्जियों के साथ ठेठ पारंपरिक पहाड़ी भोजन परोसा जाता है. बाखली में परोसा जाने वाला पारंपरिक भोजन का स्वाद अद्भुत है. शुद्ध घी में बने भोजन का जायका 100 मीटर दूर तक हवा में महसूस किया जा सकता है. पूरी तरह से जैविक उत्पादों से बनी यहां की कुमाऊनी थाली पहाड़ी बाखली को अलग पहचान देती है.

इस बाखली को और भी ख़ास बनाता है पवन पहाड़ी के परिवार का मेहमानों के लिए बेतहाशा प्यार. उनका आत्मीय व्यवहार आपको मिनटों में इस परिवार का हिस्सा बना देता है.

यहां बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग और कैम्पिंग के भी ढ़ेरों विकल्प हैं. आसान से लेकर कठिन, सभी तरह के ट्रेकिंग पाइंट पहाड़ी इस बाखली और गाँव के आसपास ही हैं. पहाड़ी बाखली से डेढ़ किमी की दूरी पर ही छीड़ गाड़ है जहां सुबह-सुबह की सैर और योगा लिये जा सकते हैं. नदी से लगे अन्न्तेश्वर महादेव मंदिर में रात में भी रुका जा सकता है. ढाई किमी की खड़ी चढ़ाई में स्थित एजेन्डी बूबू मंदिर व देवल धार ट्रेक किसी को भी रोमांचित कर सकता है.
(Pahadi Baakhli and Pawan Pahadi)

शिखर भनार का ट्रैक करीब 15 किमी लम्बा है. थका देने वाले इस लम्बे ट्रैक के बाद सामने आने वाली प्राकृतिक सुन्दरता आपको एक नई दुनिया में ले जाती है. बाखली के 4-5 किमी की दूरी पर बहुत सी नदियाँ हैं जिनमें तैराकी से लेकर फ़िश तक की जा सकती है. इसके अलावा पहाड़ी बाखली से दो किमी की दूरी से 180 डिग्री हिमालय रेंज देखी जा सकती है.  

चौकोड़ी के अलावा यहां बरड़ गाड़ से लगी थल-पांखू वाली सड़क से भी जाया जा सकता है. पहाड़ी बाखली होमस्टे की शुरुआत पहाड़ के दो युवाओं के पवन पहाड़ी और रंजना पन्त ने मिलकर की है. पेशे से सी.ए. रंजना पन्त पहाड़ी बाखली का सोशियल मीडिया मैनेज करती हैं.
(Pahadi Baakhli and Pawan Pahadi)

पवन पाठक से यू-ट्यूब स्टार पवन पहाड़ी बनने तक के सफ़र पर एक लम्बी बातचीत हम जल्द प्रकाशित करेंगे फ़िलहाल देखिये पवन की पहाड़ी बाखली से जुड़ी कुछ तस्वीरें :

छीड़ गाड़, पहाड़ी बाखली से डेढ़ किमी की दूरी
पहाड़ी बाखली से 2 किमी की दूरी
पहाड़ी बाखली से आधे किमी की दूरी
पहाड़ी बाखली का जैविक लिंगुड़ा
पहाड़ी बाखली की रसोई
पहाड़ी बाखली का नाश्ता
पवन पहाड़ी के ईजा-बाबू और आमा
आमा के साथ पवन पहाड़ी के भाई सुमित पाठक
पहाड़ी बाखली कोफाउंडर : रंजना पन्त
पवन पहाड़ी

काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago