कथा

‘जैता’ एक बहु जिसकी जान देवता भी न बचा सके: कुमाऊनी लोककथा

उमस्यारी गांव की जैता नाम कि एक लड़की भेलस्यूं नाम के गांव में ब्याही गयी. जैता का पति बिलकुल खड़बुद्धि था. पति के अलावा जैता के परिवार में एक ननद, एक देवर और सास थी. जैता का पति उसकी एक न सुनता जो उसके घर वाले कहते वही मान लेता. जैता का देवर बड़ा चतुर था, ननद थी बड़ी चुगलखोर और सास बड़ी पेटू.
(Jaita Folk Tale of Uttarakhand)

देवर देहरी में बैठा रहता और ननद बैठी रहती आंगन की दीवार पर. दोनों तांकते रहते भाभी कब क्या कर रही है. जरा सी बात भी दोनों जाकर जैता की सास को कह आते. जैता की पेटू सास हुई भी खूब दुष्ट. एक दिन जब जैता को जंगल से लकड़ी लाने जाना था तो सास ने कहा- लकड़ी काटने को हंसिया और रस्सी की क्या जरूरत जा ऐसे ही लकड़ी लेकर आ. जैता बेचारी ने बस इतना कहा- सासू जंगल बड़ी दूर है दिन में खाने को कलेवा पानी बाँध दो. सास ने कहा- जा गोठ के भरॉण में भांगिरे के छिल्के रखे हैं उसी को गाँठ बाँध ले जा.

जैता ने सास के कहा जैसा ही किया. जंगल में सब औरतें अपना-अपना कलेवा खोलने लगी जैता बेचारी कोने में एक पत्थर में लकड़ी रगड़कर दरांती बनाने की कोशिश कर रही होती है. जब औरतें उससे उसके कलेवा के बारे में पूछते हैं तो अपनी गाँठ खोलकर कहती है- दीदी मेरा तो यही है कलेवा. फिर जैता बताती है कि उसकी सास उसे सात सूप धान देती और बिना मूसल और ओखल के कूट लाने को कहती है. वो तो चिड़ियों को मेरा दुःख दिखता है सो झुण्ड में आकर चोंच से मेरा सारा धान छिल जाती हैं. क्या बताऊं दीदी जंगल भेजा है लकड़ी की भारी लाने को बिना रस्सी और दरांती के. नहीं ले गयी तो पति और देवर की मार पड़ेगी. मेरे मायके के देवता सैम जी ही कृपा करें.

जिस पत्थर पर जैता दरांती रगड़ रही थी वह उसके दुःख सुन रहा था. जैता के बेल जैसे मोटे आंसू के धार देखकर पत्थर भी पसीज गया और पत्थर से सैम देवता प्रकट हुये. जंगल से उन्होंने बुलाया भालू और दिया आदेश सबसे अच्छी लकड़ी काटने का फिर उन्होंने ध्यान किया और दो मोटे सांप ने चारों और लिपट कर उसकी लकड़ी की भारी बाँध ली. जैता चमत्कार को हाथ जोड़कर देखती रही और सैम देवता जंगल में उसे रास्ता दिखाने लगे. जैता आगे पीछे सैम देवता. गांव के पास पहुंचते ही न जाने कब सैम देवता गायब हो गये.
(Jaita Folk Tale of Uttarakhand)

बहु की पीठ पर लकड़ी की इतनी लम्बी भारी देखकर सास, ननद और देवर आश्चर्य में आ गये. जब जैता ने भारी नीचे रखी तो तीनों की नजर लकड़ी की भारी से लिपटे मोटे-मोटे सांप पर पड़ी. तीनों के होश फाख्ता हो गये. सांप बेचारे जंगल का रास्ते चल दिये. इधर जैता के पति ने जब अपने बेहोश परिवार के साथ जैता को देखा तो बिना जाने उसे खूब पीटने लगा. जब सबको होश आया तो पति ने जैता को चाय बनाने गोठ भेजा. सास ने मौके का फायदा उठाकर कहा- हम लोगों को मारने के लिये जैता जंगल से सांप लाई है लगता है उसने सांप भी गोठ में ही रखे होंगे.

खड़बुद्धि पति को कुछ समझ न आया भीतर गया और डब्बे में मिट्टी तेल ले आया. गोठ में जाकर चुपके से चाय बना रही जैता की धोती का पल्लू मिट्टी तेल में भिगो दिया. बाहर आकर उसने अपने भाई से थोड़ी देर में जाकर पल्लू चूल्हे में डाल आने को कहा और अपना घर से दूर चले गया. जैता बेचारी बड़े मन से चाय बनाने में लगी थी कि उसने आग लगा अपना आधा पल्लू देखा उसे कुछ न समझ आया बेचारी चिखती-चिल्लाती चूल्हे में और गिर गयी जब भागती-भागती आंगन में आई तो उसकी सास, ननद और देवर ने मूर्छा के बहाने लगा दिये. जैता आंगन में ही चीखती चिल्लाती रही.
(Jaita Folk Tale of Uttarakhand)

-काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

4 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

1 week ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

1 week ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

1 week ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

1 week ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

1 week ago