देश में आयुर्वेद और योग की सबसे बड़ी कम्पनी पतंजलि योग पीठ के महामन्त्री बालकृष्ण की बीमारी का रहस्य एक हफ्ते बाद भी बरकरार है. रहस्य इस मामले में कि उनके बीमार होने को विषाक्त मिठाई खाने से जोड़ा जा रहा था, पर अभी तक इस बारे में योगपीठ की ओर से न तो पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज की गई है और न ही पुलिस ने अपनी ओर से इस बारे में कोई तहकीकात प्रारम्भ की है. योगपीठ ने भी इस बारे में अब पूरी तरह से चुप्पी साध ली है. योगपीठ की रहस्यमय चुप्पी के बीच बालकृष्ण का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपने बीमार होने के दौरान शुभचिंतकों की ओर से उनके शीघ्र स्वस्थ्य होने के लिए की गई प्रार्थनाओं और उनकी संवेदना के लिए आभार व्यक्त किया है. इस वीडियो में बालकृष्ण अपने विरोधियों पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं – “कुछ लोग दिव्य स्वप्न देख रहे थे. दिव्य सपने देखने वाले समय बर्बाद न करें तो अच्छा होगा. बाकी उनकी मर्जी”. सोशल मीडिया में 27 अगस्त 2019 को वायरल हुए वीडियो में वे रामदेव के साथ हैं और पंतजलि योग पीठ के स्वयंसेवियों को सम्बोधित कर रहे हैं. इसके अलावा बालकृष्ण अपनी कथित बीमारी और उन्हें खिलाए विषाक्त पेड़े को लेकर और कुछ भी कहते नजर नहीं आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि मीडिया को यह वीडियो भी बालकृष्ण के नजदीकी लोगों ने ही भेजा. (Growing Mystery of Balkrishna Hospitalization )
उल्लेखनीय है कि बालकृष्ण गत 23 अगस्त 2019 की दोपहर में अचानक बेहोश हो गए. उस समय वे हरिद्वार में अपने ही कार्यालय में थे. दोपहर का भोजन ग्रहण करने के कुछ समय बाद ही बालकृष्ण बेहोश हो गए. उनके बेहोश होते ही पतंजलि में अफरा – रफरी मच गई. उन्हें पहले पतंजलि में ही प्राथमिक उपचार दिया गया. पर स्वास्थ्य और बिगड़ने पर उन्हें तुरन्त ही भूमा निकेतन अस्पताल पहुँचाया गया. जहॉ चिकित्सकों ने जॉच के बाद बालकृष्ण की स्थिति को गम्भीर बताते हुए उन्हें तुरन्त ऋषिकेश एम्स ले जाने की सलाह दी. जिसके बाद उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती किया गया. इस बीच पतंजलि पीठ के स्रोतों के हवाले से यह खबर पूरे देश, दुनिया में फैल गई कि बालकृष्ण को ह्रदयाघात हुआ है और उनकी स्थिति गम्भीर है. एम्स के डॉक्टरों ने भी अपनी प्रारम्भिक रिपोर्टों में बालकृष्ण को ह्रदयाघात होने की पुष्टि की और यह तक कहा कि वे किसी को पहचान तक नहीं रहे हैं. (Growing Mystery of Balkrishna Hospitalization )
अपने सबसे निकटतम सहयोगी को ह्रदयाघात होने की खबर को सुनकर योग उद्योगपति बाबा रामदेव भी भागे – भागे भूमा निकेतन अस्पताल पहुँचे और उन्हें लेकर एम्स पहुँचे. वहॉ बालकृष्ण को तुरन्त ही क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग में एम्स के निदेशक प्रो. रविकान्त की निगरानी में शाम को लगभग 4 बजकर 15 मिनट पर भर्ती किया गया. प्रारम्भिक जॉच के बाद एम्स के चिकिस्साधीक्षक डॉ. ब्रह्मप्रकाश ने कहा कि बालकृष्ण होश में तो हैं, पर किसी को पहचान नहीं रहे हैं और बोल पाने की स्थिति में भी नहीं हैं. इसके बाद बाबा रामदेव ने बालकृष्ण के स्वास्थ्य की जॉच कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात करने के साथ ही एम्स के निदेशक से भी बातचीत की. बाद में बालकृष्ण के अचानक बेहोश होने और उनकी कथित बीमारी को लेकर रामदेव ने नया खुलासा किया. बाबा रामदेव ने कहा कि बालकृष्ण को किसी तरह का ह्रदयाघात नहीं हुआ है, बल्कि कृष्णजन्माष्टमी के मौके पर एक भक्त उनके लिए पेड़े लेकर आया था, जिसके अनुरोध पर बालकृष्ण ने पेड़ा खाया और उसके कुछ समय बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गए. पेड़ा खिलाए जाने से बालकृष्ण को फूडप्वाईजनिंग हो गई थी और कुछ नहीं. रामदेव के इस दावे की पुष्टि एम्स के निदेशक प्रो. रविकान्त ने भी की.
इसके बाद एम्स के डॉक्टरों के दल ने इस बारे में चुप्पी साध ली और बालकृष्ण की बीमारी को लेकर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. इसके बाद बालकृष्ण की बीमारी को लेकर रहस्य और गहरा गया. रामदेव द्वारा बालकृष्ण की बेहोशी को पेड़ा खाने से हुई फूडप्वाईजनिंग से जोड़ने और देर शाम को लगभग 8.30 बजे यह दावा करने से कि बालकृष्ण अब पूरी तरह से ठीक हैं और मुझसे उन्होंने बात भी की है. वे अब सब को पहचानने लगे हैं, जैसे बयान देने से मामले ने कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया. ऐसा इसलिए हुआ कि एक ओर तो रामदेव द्वारा बालकृष्ण के ठीक होने, होश में आने, बात करने की बात कही जा रही थी, वहीं दूसरी ओर एम्स प्रशासन कह रहा था कि बालकृष्ण की इको, एमआरआई, हार्ट, अल्ट्रासाउंड जैसी कई तरह की जॉचें की गई हैं. कुछ जॉचें फॉरेंसिंक लैब भेजी गई हैं. उनके एंजाइम की भी जॉच की जा रही है. इन सब रिपोर्टों के मिलने के बाद ही बालकृष्ण की बीमारी और उनके स्वास्थ्य को लेकर सही जानकारी दी जा सकेगी.
इसके बाद दूसरे दिन 24 अगस्त को भी एम्स से इस तरह की खबरें आती रही कि बालकृष्ण का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और वे अभी पूरी तरह से होश में भी नहीं है. ऐसी खबरों के बीच शाम को लगभग सवा 4 चार बजे बालकृष्ण को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया. एम्स के निदेशक प्रो. रविकान्त ने एक बयान जारी कर के कहा कि बालकृष्ण अब पूरी तरह से ठीक हैं और उनकी हर तरह की जॉच सही पाई है. रामदेव के अनुरोध के बाद बालकृष्ण को एम्स से छुट्टी दे दी गई है. यह पर यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि जो व्यक्ति विषाक्त पदार्थ ( पेड़े ) खाने से इतना गम्भीर तौर पर बीमार पड़ा कि वह किसी को पहचान तक नहीं रहा था, लेकिन दूसरे दिन स्वस्थ्य होकर बिना किसी सहारा लिए ही अस्पताल के वार्ड से बाहर गाड़ी तक पहुँच गया?
दूसरी ओर बालकृष्ण के पेड़ा खाकर बीमार होने की बात भी किसी के गले नहीं उतर रही है. बालकृष्ण योगपीठ की जिस तरह की आन्तरिक सुरक्षा में रहते हैं, उसमें किसी के भी उनको पेड़ा खिला देने की बात कई तरह के सवाल खड़े करती है. दूसरा सवाल यह है कि जब चारों सीसी कैमरे लगे हैं तो यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उस दिन कौन – कौन बालकृष्ण से मिले? और किसने उन्हें पेड़े भेंट किए? रामदेव ने इस बीच यह भी बयान दिया कि उन्हें बालकृष्ण को पेड़े भेंट करने वाले व्यक्ति से कोई शिकायत नहीं है. उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया? फिर पेड़ा खाने से बालकृष्ण को फूडप्वाइजनिंग की शिकायत कैसे हो गई? और यह भी कि बालकृष्ण के बेहोश होने पर मीडिया तक यह जानकारी कैसे पहुँची कि उन्हें ह्रदयाघात हुआ है? ऐसे जानकारी क्या मीडिया को जानबूझकर दी गई? ऐसे जानकारी देने के पीछे मंशा क्या थी? या यह कि बालकृष्ण को वास्तव में हल्का ह्रदयाघात हुआ? जिसकी वजह से बालकृष्ण बेहोश हो गए? और योगपीठ, रामदेव व बालकृष्ण की सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाने के लिए कथित तौर पर विषाक्त पेड़ा खाने की कहानी रची गई? क्योंकि रामदेव योग के माध्यम से और बालकृष्ण जड़ी – बूँटियों के माध्यम से लोगों से निरोग रहने को कहते रहते हैं. ऐसे बालकृष्ण के बीमार होने के बाद अस्पताल में भर्ती होकर ऐलोपैथिक उपचार लेना उनके अब के दावों पर सवाल तो उठाता ही है.
ऐसा हुआ भी. एम्स में भर्ती होने के साथ ही सोशल मीडिया में रामदेव और बालकृष्ण के उन दावों पर सवाल उठाए जाने लगे, जिसमें ये दोनों हमेशा ऐलोपैथी को गलियाते हुए योग व आयुर्वेद के माध्यम से हर तरह की गम्भीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करते रहे हैं. लोग सवाल उठाने करने लगे कि जब बालकृष्ण व रामदेव खुद बीमार होते हैं तो वे आधुनिक चिकित्सा सुविधा के माध्यम से अपना इलाज करवाते हैं, लेकिन आम जनता से हमेशा आधुनिक चिकित्सा सुविधा से दूर रहने के साथ ही उसे खतरनाक भी बताते रहे हैं. वे ऐसा क्यों करते हैं? लोगों में योग व जड़ी – बूँटियों के माध्यम से हर तरह की बीमारी ठीक कर लेने का दावा क्यों करते हैं? क्या पतंजलि के आयुर्वेद के अत्याधुनिक कथित शोध संस्थान में फूडप्वाईजनिंग तक का इलाज नहीं था? तो रामदेव पतंजलि में हर तरह के रोगों को ठीक कर लेने का दावा कर के हजारों लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं? लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत रामदेव, बालकृष्ण को क्यों दी जा रही है?
बालकृष्ण की बीमारी का रहस्य इसलिए भी गहरा गया है कि पतंजलि प्रबंधन या बाबा रामदेव की ओर से इस बारे में कोई रिपोर्ट घटना के एक हफ्ते बाद भी दर्ज नहीं करवाई गई. एक ओर रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई जा रही है, दूसरी ओर रामदेव कह रहे हैं कि इसकी पूरी जॉच की जाएगी कि क्या किसी ने बालकृष्ण को पेड़े में जहर मिलाकर मारने की कोशिस की? जब पुलिस में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं तो आखिर जांच कौन करेगा? क्या रामदेव का पतंजलि कानून व्यवस्था से ऊपर है? एक अपराधिक साजिश की जॉच भी वे या उनका संस्थान अब खुद करेंगे? इस तरह के कई सवाल हैं, जिनके जवाब सामने आने बाकी हैं.
इन सवालों के जवाब कब मिलेंगे और मिलेंगे कि नहीं? इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. पर लगता है कि इस मामले को लेकर योगपीठ की परेशानी अभी खत्म होने वाली नहीं है, क्योंकि विभिन्न संगठनों ने इस प्रकरण की सीबीआई जॉच की मॉग की है. बाबा रामदेव व बालकृष्ण के गुरुभाई स्वामी कर्मवीर ने अपनी फेसबुक वॉल पर बालकृष्ण के साथ अपना फोटो पोस्ट करते हुए लिखा है,” जब देशवासी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मना रहे थे तो उसी समय एक साजिश के तहत मित्रवर आचार्य बालकृष्ण को मिष्ठान में मिश्रित कर जानलेवा विष खिला दिया गया. यह घृणित कार्य था “. यहॉ पर सवाल यह है कि आचार्य कर्मवीर का इशारा किसकी ओर था? क्या उन्हें इस तरह के किसी कथित षडयंत्र की आशंका पहले से थी? उल्लेखनीय है कि पहले कर्मवीर, रामदेव व बालकृष्ण तीनों ही स्वामी शंकरदेव के शिष्य होते थे. योगपीठ की स्थापना भी इन तीनों ने ही स्वामी शंकरदेव के दिशा – निर्देश पर की थी. बाद में रामदेव से मतभेद होने पर कर्मवीर ने योगपीठ से खुद को अलग कर लिया.
आचार्य कर्मवीर के अलावा हिन्दू रक्षा सेना व सामाजिक सेना से जुड़े संतों व हिन्दूवादी नेताओं ने हरिद्वार में 27 अगस्त 2019 को एक पत्रकार वार्ता कर के मामले की सीबीआई जॉच की मॉग की और इस बारे में मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भी पत्र भेजा है. यह मॉग करने वालों में हिन्दू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानन्द गिरी, सामाजिक सेना के अध्यक्ष विनोद महाराज और हिन्दू रक्षा सेना के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद सैनी शामिल हैं. सीबीआई जॉच के पीछे योगपीठ के अतीत से जुड़े वे घटनाक्रम हैं, जिसमें संदिग्ध परिस्थितियों में बाबा रामदेव, बालकृष्ण के गुरु स्वामी शंकरदेव 16 जुलाई 2007 को गायब हो गए थे. स्वामी शंकरदेव उस दिन सवेरे हर रोज की तरह हरिद्वार के कनखल स्थित अपने आश्रम से घूमने के लिए गए. पर वे उसके बाद आश्रम लौटे ही नहीं. बताया जाता है कि स्वामी रामदेव तब अपने योग शिविरों के कारण विदेश में थे और बालकृष्ण ने ही अपने गुरु शंकरदेव के लापता होने की प्राथमिकी कनखल थाने में लिखवाई थी. पुलिस ने मामले की जॉच की, लेकिन वह शंकरदेव के बारे में कुछ भी पता नहीं कर पाई और उसने इस बारे में 10 अप्रैल 2012 को अंतिम रिपोर्ट लगा कर इस केस को बंद कर दिया. स्वामी शंकरदेव कनखल स्थित दिव्य योग मन्दिर ट्रस्ट और कृपालु बाग आश्रम के ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक भी थे.
स्वामी शंकरदेव की रहस्यमय गुमशुदगी के अलावा बाबा रामदेव के “भारत स्वाभिमान आन्दोलन” के राष्ट्रीय प्रवक्ता और रामदेव के अभिन्न सहयोगी राजीव दीक्षित की 29-30 नवम्बर 2010 की रात भिलाई ( छत्तीसगढ़ ) के बीएसआर अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी. दीक्षित की मौत का कारण भी ह्रदयाघात बताया गया. इसके विपरीत राजीव दीक्षित के समर्थक आज भी उन्हें जहर देकर मारने का आरोप लगाते हैं. इन लोगों का कहना है कि दीक्षित की देह नीली पड़ गई थी. तब दीक्षित के शव का पोस्टमार्टम करवाने से स्वामी रामदेव ने इंकार कर दिया था और उनके शव को परिजनों को सौंपने की बजाय हरिद्वार लाकर अंतिम संस्कार किया गया था. इस बारे में रामदेव पर कई तरह के आरोप राजीव दीक्षित के समर्थक लगाते रहे हैं. इन कथित आरोपों पर रामदेव के अपने बचाव में एक योग शिविर में दिए गए बयान का वीडियो भी आजकल सोशल मीडिया पर खूब वाइरल हो रहा है. रामदेव के इस वीडियो पर भी राजीव दीक्षित के समर्थक अनेक अनुत्तरित सवाल उठा रहे हैं.
बालकृष्ण की फूडप्वाइजनिंग के बाद कथित तौर पर बीमार पड़ने के विवादित मामले के चर्चा में रहने के बीच अगर लगभग 9 साल बाद राजीव दीक्षित की मौत के मामले की जॉच ने भी जेर पकड़ा तो रामदेव के लिए आने वाले दिन परेशानी भरे हो सकते हैं. इस सब चर्चाओं के बीच ऋषिकेश एम्स की एक रिपोर्ट भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है, जिसमें बालकृष्ण के शरीर में नशीले पदार्थ मैरीजिओना ( गांजा ) के पाए जाने की बात कही गई है. इस रिपोर्ट पर योगपीठ व ऋषिकेश एम्स के प्रबंधन ने ही चुप्पी साध रखी है. इसी तरह की चुप्पियों के बीच बालकृष्ण की बीमारी का रहस्य भी गहराता जा रहा है.
-जगमोहन रौतेला
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जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं.
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