23 वर्षीय पप्पू चौधरी 22 सितम्बर 2022 को साइकिल से यात्रा करने अकेले ही निकल पड़े. इनकी यात्रा राजस्थान के नागौर जोधपुर से शुरू हुई है जो माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर पर समाप्त होगी. (Rajasthan Everest Base Camp)
एक तरफ आग उगलती मरुस्थल की गर्मी दूसरी हिमालय की रूह कंपाने वाली ठंड. इस चुनौती का सामना करते हुए पप्पू चौधरी अपनी साइकिल में सवार होकर पहुँचे अल्मोड़ा. साइकिल मे स्लीपिंग बैग, टेंट, बरसाती, एक बैग में कुछ कपड़े और एक लहराता हुआ तिरंगा झंडा. एकदम विनम्र स्वभाव के इस युवा ने एम.ए. इतिहास का प्रथम वर्ष महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अजमेर राजस्थान से किया है, पिता एक समान्य कृषक हैं और माता गृहणी.
इस लंबी साइकिल यात्रा का उद्देश्य है विश्व की सबसे ऊंची चोटी के नजदीक पहुंचना और साथ में नए लोगों से मिलना. देश के विभिन्न स्थानों की संस्कृति, रहन-सहन, रीति-रिवाज और वहां के इतिहास-भूगोल को समझना. साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना. इस यात्रा के दौरान एक लाख पौधों का रोपण करवाने का लक्ष्य रखा है.
अल्मोड़ा पहुंचने पर उनसे हमारी भी मुलाकात हुई. साथ में रहे अल्मोड़ा साइकिल अभियान के पुरोधा भारत साह, फोटोग्राफर जय मित्र सिंह बिष्ट, गोकुल साही. पप्पू चौधरी से यात्रा विवरण सुनने से पता चला कि ये जांबाज अभी तक राजस्थान के नागौर, जो समुद्र तल से 200 मीटर की ऊँचाई पर है, से यात्रा शुरू करते हुए हरियाणा के भिवानी, रोहतक, कुरुक्षेत्र से पंजाब के अमृतसर, पठानकोट फिर जम्मू-कश्मीर से कटरा, रामबन, श्रीनगर, कारगिल, द्रास, जोजिला से विश्व की सबसे ऊँची मोटरेबल रोड खारदुंगला, सियाचिन, चुसुल, रेजंगला, उमलिंग ला, जांसकर घाटी से दारचा, बरालाचा से हिमाचल प्रदेश के रोहतांग, मनाली से उत्तराखंड के ऋषिकेश से देवप्रयाग, चोपता-तुंगनाथ, जोशीमठ-बद्रीनाथ, कर्ण प्रयाग, ग्वालदम, कौसानी होते अल्मोड़ा पहुँचे.
इनका इसके बाद कैंची धाम, नैनीताल, हल्द्वानी, अयोध्या से दिल्ली, मध्य प्रदेश, इंदौर, गुजरात, मुंबई, गोवा होते हुए दक्षिण भारत के बेंगलुरु, विशाखापट्टनम, चेन्नई पहुंचना है. फिर बिहार, आसनसोल से कोलकाता दार्जिलिंग, उत्तर पूर्व में असम, सिक्किम, नेपाल के काठमांडू से पोखरा होते हुए नामचे बाजार से एवरेस्ट के आधार शिविर 8848 मीटर के बेस कैम्प पर साल 2025 तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. इस जीवट साहसिक साइकिल में सवार पप्पू चौधरी को सलाम!
(Rajasthan Everest Base Camp)
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‘सुमेरु कॉटेज’ नरसिंह बाड़ी अल्मोड़ा के रहने वाले डा. महेंद्र सिंह मिराल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पथारोहण व पर्वतारोण के शौकीन हैं.
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