क्या आपको नहीं लगता नैनीताल ख़तरे में है..?

18 अगस्त को लोअर माल रोड का एक बड़ा हिस्सा भरभरा कर नीचे झील में समा गया. सोशल मीडिया में इसकी विडियो पर आपकी नज़र ज़रूर पड़ी होगी। कल रात फिर एक हिस्सा झील की सुपुर्द हो गया और भारी बारिश और झील की लहरें इसे काटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. ख़तरा अब अपर माल रोड पर भी छा गया है.

इस सड़क की देखभाल की ज़िम्मेदारी पीडब्लूडी के पास है. पीडब्लूडी के इंजीनीयर, सीएस नेगी कहते हैं, ”अभी लोअर माल रोड के खुल पाने के कोई आसार नहीं हैं. तेज़ बारिश और झील का पानी सड़क को और गहरे काट रहा है. हमारा फोकस अभी किसी तरह कटान को रोकना है. तेज़ बारिश में मजदूरों के लिए काम करना भी ​मुश्किल हो रहा है.”

नेगी आगे कहते हैं, ”अभी इसके लिए बजट जारी नहीं हुआ है और हम शुरूआती तौर पर लोअर माल रोड के कटान को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.” नेगी का कहना है कि लोअर माल रोड में यातायात अगले 1-2 महीनों में सुचारू हो पाएगा.

सवाल यह है क्या यह सब अचानक हो रहा है, जो प्रशासन हतप्रभ नज़र आ रहा है?

जो लोग महज सतह पर चमकती दिखती नैनीताल शहर की ख़ूबसूरती देखने नैनीताल नहीं आते और इस शहर के मर्म को समझते हैं, वे हरगिज़ यह नहीं कह पाएंगे कि यह अचानक हो रहा है. ​लोअर माल रोड में जो दरार इस लैंडस्लाइड की वजह बनी यह दरार यहां तकरीबन पिछले दो सालों से मौजूद थी और ऐसी ही और दरारें आपको पूरी माल रोड में नज़र आएंगी. ना सिर्फ लोअर माल रोड बल्कि यह पूरी पहाड़ी बेहद संवेदनशील ढलान है, और जिस पर बसा है पूरा का पूरा शहर.

दिल्ली और इस तरह के तक़रीबन दर्जन भर, भारी आबादी वाले शहरों से, हिल स्टेशन के बतौर नैनीताल सबसे अधिक सुविधाजनक दूरी पर बसा है. वीकेंड्स् और लॉंग वीकेंड्स् पर गाड़ी स्टार्ट कर रात भर के सफ़र से आप अगली सुबह नैनीताल की खुशनुमा वादियों तक पहुंच जाते हैं और गर्मी की छुट्टियां तो इसके लिए और वक़्त दे देती हैं.

लेकिन इन दर्जन भर शहरों से एक साथ चली हज़ारों गाड़ियों के वजन, क्या हिमालय की संवेदनशील पहाड़ी पर बसा यह एक छोटा सा क़स्बा झेल सकता है? इस बात की परवाह करने वाला कोई नहीं है.

माल रोड पर घंटों जाम लगना आम बात है. माल रोड हर साल लाखों गाड़ियों के वज़न और इनके कंपन से थरथरा रही है. और इसकी नींव इस क़दर कमज़ोर हो गई है कि जो अभी हुआ है यह होना ही था. प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि पीक सीज़न के ​समय भी कोई व्यवस्था नहीं दिखाई देती, जिससे कि घंटों यहाँ जाम लगा रहता है, और पर्यटक भी जाम में फँसे, होटल और पार्किंग की तलाश में अपनी छुट्टियाँ बर्बाद कर देते हैं.

प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि उसने लोअर माल रोड की अनदेखी की जिसके चलते यह हादसा हुआ. माल रोड के एक होटल व्यवसायी कमल जगाती कहते हैं, ”प्रशासन ने कुछ कार्रवाई नहीं की है. बस ट्रैफ़िक को डायवर्ट कर दिया है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है. लोहर माल रोड में ये पुरानी दरारें हैं. इन्हें समय से सही किया जाना था. लेकिन नहीं किया गया.”

लेकिन पीडब्लूडी इंजीनियर नेगी इस बात से इनकार करते हुए कहते हैं, ”जब भी ज़रूरत पड़ी है हमने यहां फिलिंग की है, रिटर्निंग वॉल्स बनाई गई हैं. हम इसे तुरंत रिपेयर करते रहे हैं. लेकिन असल में यह एक मेजर समस्या है. यह पूरी पहाड़ी बहुत सेंस्टिव है. इसकी ढलान अस्थिर है. आईआईटी रूड़की के वैज्ञानिकों को हमने इसके अध्ययन के लिए बुलाया था. उनकी रिपोर्ट के आधार पर इसमें मेजर काम होना है. इसको सम्हालने के लिए 41 करोड़ का एस्टिमेट हमने सरकार को दिया है. पहले यह बजट आ जाए. लेकिन इस काम में भी कुछ समय लगेगा. लेकिन स्थाई उपाय ही करने होंगे.”

बहरहाल अभी लोअर माल रोड के ट्रेफ़िक को डाइवर्ट कर दिया गया है. और सामने की पहाड़ी पर मौजूद डीएसबी वाली सड़क से इसे तल्लीताल में जोड़ा गया है. यह एक फ़ौरी इंतज़ाम है. जिस सड़क में इसे डाइवर्ट किया गया है वो एक बेहद संकरी सड़क है और पहाड़ के जिस ढलान पर ये बनी है इसे सुरक्षित भी नहीं माना जा सकता. सारा ट्रेफ़िक जब इस तरफ़ डायवर्ट कर दिया गया है तो इस पर दबाव बढ़ गया है.

साल दर साल नैनीताल जैसे पहाड़ी कस्बे पर बढ़ रहा बहुआयामी दबाव इसके लिए ख़तरा बनता जा रहा है. लेकिन प्रशासन की ओर से इस दबाव को कम करने के कोई ठोस प्रयास नहीं दिख रहे. एक शहर की एक निश्चित क्षमता होती है उससे अधिक दबाव वह नहीं झेल सकता. और नैनीताल अपनी क्षमता की इस सीमा को कई पहले पार कर चुका है. लेकिन फिर भी इसे समझते हुए ठोस क़दम उठाने वाला कोई नहीं है.

(काफल ट्री डेस्क)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • This is really disappointing as Nainital is not only a town but also a part of Victorian history woth historocal landmarks

    It not only the government to be blamed but the local businessmen, hoteliers and other people earning rheir livelihood from tourists are equally responsible for this catastrophic event

    There is no rules or action taken by thr local authorities on how to manage such huge tourist crowd and the parking issue is a pain from last 5-6 years. Apart from this the local people do not care about tourists littering on roads and lake as all they are concerned about the consistent flow of money brought in by these uneducated Indian tourists

    It is an irony and so heartbreaking to see this beautiful small town being converted into a pile of mud through destruction from its glory days

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago